हालांकि, तीज-त्योहारों पर होने वाली शांति समिति की लगभग हर बैठक में नगरवासी इन मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हैं, लेकिन यह मुद्दे बस कागजों में सिमट कर ही रह जाते हैं। ईसागढ़ तहसील मुख्यालय के साथ ही ब्लॉक मुख्यालय भी है। इस कारण क्षेत्र की तमाम पंचायतों के लोग और किसान हर दिन ईसागढ़ पहुंचते हैं।
इसके अलावा ईसागढ़ से ही लगे ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के चंदेरी, कदवाया, इंदौर जैसे स्थान हैं। इन स्थानों पर देशी ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी पहुंचते हैं। जिससे नगर के बस स्टैंड पर हमेशा चहल-पहल बनी ही रहती है। लेकिन सड़क पर बैठे आवारा मवेशी और अतिक्रमण के कारण संकरी हो रही सड़कें लोगों की परेशानी का कारण बन जाती हैं।
पूरे साल में महज अप्रैल से लेकर जुलाई तक ही ऐसा समय होता है, जब लोगों को सड़क पर मवेशी नजर नहीं आते, दरअसल जुलाई-अगस्त में खरीफ और अक्टूबर-नबंवर में रबी फ सल की बुवाई के बाद किसान अपनी फ सल को मवेशियों से बचाते के तमाम उपाय करते हैं। यही कारण है कि मवेशी खेतों और गांवों से निकलकर सड़कों तक आ जाते हैं। जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं अप्रैल से जुलाई तक खेत पूरी तरह से खाली रहते हैं और इन खेतों में बेखौफ मवेशी विचरण करते हैं।
नगर की यातायात व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए कागजों में बनी योजनाएं धरातल पर नहीं उतर सकीं। प्रमुख तीज-त्योहारों पर थाने में आयोजित शांति समिति की बैठक में नगरवासियों ने प्रमुखता से इन समस्याओं को अधिकारियों के सामने रखा। यही नहीं बैठक में मुख्य बाजार में दिन के समय बड़े वाहनों पर प्रतिबंध, अतिक्रमणकारियों के विरूद्ध कार्रवाई, मुख्य बाजार पर दुकानों के सामने रखे सामान की जब्ती की कार्रवाई सहित कई प्रस्ताव भी डाले गए। बावजूद इसके इन प्रस्तावों को जमीनी धरातल पर उतारा नहीं जा सका और नगरवासी के अलावा ईसागढ़ आने वाले हजारों लोग इन परेशानियों से जूझ रहे हैं।