scriptशास्त्रीय संगीत और ध्रुपद गायन गूंजा चंदेरी, कथक ने भी बढ़ाया आकर्षण | Classical music and Dhrupad singing at Chanderi | Patrika News

शास्त्रीय संगीत और ध्रुपद गायन गूंजा चंदेरी, कथक ने भी बढ़ाया आकर्षण

locationअशोकनगरPublished: Jan 25, 2020 10:55:14 am

Submitted by:

Arvind jain

बैजू बावरा महोत्सव: तीन दिवसीय महोत्सव, आकर्षक लेजर रोशनी से जगमगाया राजा-रानी महल।

शास्त्रीय संगीत और ध्रुपद गायन गूंजा चंदेरी, कथक ने भी बढ़ाया आकर्षण

शास्त्रीय संगीत और ध्रुपद गायन गूंजा चंदेरी, कथक ने भी बढ़ाया आकर्षण

अशोकनगर. आकर्षक लेजर रोशनी से जहां पूरा राजा-रानी महल और किलाकोठी जगमगाते रहे, तो वहीं शास्त्रीय संगीत और धु्रपद गायन से चंदेरी गूंज उठा। साथ ही कलाकारों ने कथक नृत्य भी प्रस्तुत किया, जिसने बैजू बावरा की याद को ताजा कर दिया। इस संगीत सभा को देखने और सुनने बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंचे और देर रात तक कार्यक्रम जारी रहा।
मौका था जिले के पर्यटक स्थल चंदेरी में संगीत सम्राट बैजू बावरा महोत्सव का। प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी की ओर से बैजू बावरा की समाधि पर यह तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके लिए पूरे राजा-रानी महल और किलाकोठी को आकर्षक लेजर रोशनी से सजाया गया था।
जिसमें गुंदेचा बंधुओं ने ध्रुपद गायन का समां बांधा तो लगा कि बैजू बावरा खुद अपनी इस भूमि पर साकार हो उठे। इसके अलावा शास्त्रीय संगीत और कथक की आवाज ने भी लोगों को आकर्षित किया। जिसमें जयपुर से आए कलाकारों ने कथक नृत्य की प्रस्तुति दी।
बंदूक की नाली से बना वाद्य यंत्र रहा आकर्षण-
मैहर बैंड एवं श्वेता जोशी एवं देवेंद्र मंगलामुखी की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन हो गया। मैहर बैंड की प्रस्तुति में चंदेरी के श्रोताओं के बीच आकर्षण रहा बंदूक की नाली से बनाया गया वाद्य यंत्र।
जिसकों मैहर के कलाकारों द्वारा बजाया गया। धार से आईं शास्त्रीय गायक श्वेता जोशी ने विभिन्न रागों का गायन किया। इस दौरान विभिन्न विधाओं में नृत्य की प्राचीन संस्कृति एवं बैजू बावरा दरबार की यादों को ताजा कर दिया।
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