एक ही दिन में जिले में दो गर्भवती महिलाओं की मौत हो गई। जिसमें एक प्रसूता की मौत का कारण खून की कमी, तो दूसरी प्रसूता का कारण प्रसव के दौरान गर्भाशय फटना बताया जा रहा है। इससे विभाग के दावों पर सवाल उठने लगे हैं।
मुंगावली तहसील के गदूली गांव निवासी 35 वर्षीय श्रीबाई पत्नी श्रीराम आदिवासी के 9वी डिलेवरी होना थी। सोमवार सुबह प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मुंगावली लेकर पहुंचे। श्रीबाई का बीपी हाई होने से उसे झटके आ रहे थे और खून की भी भारी कमी थी व शरीर पर सूजन आ गई थी।
गंभीर हालत देख डॉक्टरों ने उसे जिला अस्पताल के लिए रैफर कर दिया। जिला अस्पताल पहुंचकर उसका इलाज शुरू ही हो पाया और जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। वहीं दूसरा मामला ईसागढ़ तहसील के बरोदिया गांव का है, चंदेरी निवासी 25 वर्षीय रचना पत्नी सुखलाल आदिवासी कुछ दिन पहले ही मायके बरोदिया गांव आई थी।
दोनों की मौत का मुख्य कारण खून की कमी…
डॉ. नीलिमा सिंह के मुताबिक श्रीबाई में खून की भारी कमी थी और बीएमओ डॉ.वीएस जम्होरिया के मुताबिक रचना में भी खून की पहले से ही अत्यधिक कमी थी।
जबकि शासन महिलाओं के गर्भवती होने से प्रसव और जन्मे बच्चे पांच साल की उम्र तक महिला और बच्चे को पोषण आहार की व्यवस्था करता है। वहीं खून की कमी से बचाने के लिए आयरन की गोलियां और इंजेक्शन भी दिए जाते हैं और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच भी कराई जाती है।
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर इन महिलाओं के स्वास्थ्य पर किस तरह से ध्यान दिया गया कि खून की कमी से इन महिलाओं को मौत का शिकार बनना पड़ा। इससे स्वास्थ्य विभाग सहित महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं।