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dengue malaria : पिछले वर्ष जहां बड़ी संख्या में डेंगू-मलेरिया के मरीज मिले, फिर भी जिले में नहीं दवाओं का छिड़काव

locationअशोकनगरPublished: Aug 05, 2019 12:01:33 pm

Submitted by:

Arvind jain

बीमारियों को रोकने गंभीर नहीं जिम्मेदार: शहर सहित जिले में मच्छरों की समस्या से परेशान हैं लोग।

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पिछले वर्ष जहां बड़ी संख्या में डेंगू-मलेरिया के मरीज मिले, फिर भी जिले में नहीं दवाओं का छिड़काव

अशोकनगर. पिछले वर्ष जिले में जहां हजारों की संख्या में मरीज मलेरिया malaria से पीडि़त रहे थे और 20 मरीज डेंगू पॉजीटिव पाए गए थे। इस बार भी जिले में लोग मच्छरों की समस्या से पीडि़त है और अस्पतालों में पहुंच रहे मरीजों में रोजाना करीब 10 प्रतिशत मलेरिया पीडि़त पाए जा रहे हैं। फिर भी इसे रोकने के लिए जिले में कहीं भी पूर्व इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं, यदि यही स्थिति यही रही तो इस बार जिले में डेंगू-मलेरिया लोगों की परेशानी बनेगा।

 

मलेरिया और फैल्सीफेरम से पीडि़त पाए जा रहे हैं
बारिश का मौसम शुरू होते ही शहर सहित जिलेभर में मच्छरों की समस्या शुरू हो गई है और अस्पतालों में पहुंच रहे मरीजों में 10 प्रतिशत मरीज मलेरिया और फैल्सीफेरम से पीडि़त पाए जा रहे हैं। इसका अंदाजा मेडीकल दुकानों से बिक रहे मलेरिया और फैल्सीफेरम के मंहगे इंजेक्शनों और दवाओं को देखकर लगाया जा सकता है।

 

अभी बारिश सीजन आधा ही बीता

हालत यह है कि मेडीकल दुकानों पर पहुंचने वाले 10 प्रतिशत मरीज मलेरिया की दवाएं खरीदते दिख रहे हैं। जबकि अभी बारिश सीजन आधा ही बीता है, इसके बाद जगह-जगह पानी रुकने से स्थिति और बिगढऩे की आशंका है। फिर भी जिम्मेदार इस पर कोई गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। नतीजतन मलेरिया से पीडि़त होकर मरीजों को मंहगे इलाज पर हजारों रुपए खर्च करना पड़ रहे हैं।

 


नगरीय निकाय तो दूर, मलेरिया विभाग भी नहीं गंभीर-
जिले के शहरी क्षेत्रों में नगरीय निकायों द्वारा हर साल लाखों रुपए का बजट दवाओं के लिए रखा जाता है। लेकिन कहीं भी दवाओं का छिड़काव नहीं होता है और इस अनदेखी के चलते लोग मच्छरों की समस्या से मलेरिया और डेंगू से जूझते रहते हैं। वहीं मलेरिया विभाग भी सिर्फ क्षेत्र में मच्छरदानियां बांटकर अपने कर्तव्य से इतिश्री कर चुका है, लेकिन दवाओं का छिड़काव कराने के लिए कोई गंभीर नहीं है। जबकि पिछले वर्ष बड़ी संख्या में डेंगू व मलेरिया के पॉजीटिव मरीज मिले थे।


सर्वे सिर्फ शहर में, गांवों में नहीं कोई ध्यान-
मलेरिया विभाग द्वारा सिर्फ शहरी क्षेत्र में ही कुछ जगहों पर लार्वा का सर्वे कर लिया जाता है। इस बार भी सर्वे शुरू किया गया, लेकिन शहर के ज्यादातर स्थानों तक सर्वे टीम अब तक नहीं पहुंची। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से डेंगू-मलेरिया के पॉजीटिव मरीज पाए जा चुके हैं। इसके बावजूद भी ग्रामीण क्षेत्र में न तो कोई सर्वे कराया जा रहा है और न हीं किसी तरह का जागरुकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा मलेरिया की जांच के लिए स्लाइडें भी नहीं बनाई जाती हैं। इससे मरीजों को पैथोलॉजियों पर पहुंचकर मंहगे खर्च पर जांचें कराना पड़ती हैं।


इन मामलों से जानें शहर में मच्छरों के हालात-


घरों के बाहर भी नहीं बैठ पाते हैं लोग-
शहर के मच्छरों की समस्या ऐसी है कि लोग शाम या रात के समय अपने घरों के बाहर बैठ भी नहीं पाते हैं। शहरवासियों का कहना है कि शहर में वर्षों से मच्छरों की समस्या है, लेकिन कभी भी जिम्मेदारों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता है और न हीं दवाओं का छिड़काव किया जाता है, इससे लोगों को मलेरिया सहित मच्छरजनित बीमारियों से जूझना पड़ता है।

 


खाली प्लॉट में कचरे के ढ़ेर और गंदा पानी-
शंकर कॉलोनी में ज्यादातर परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले हैं, कॉलोनी में जगह-जगह नालियां गंदे पानी से भरी हुई हैं। वहीं तुलसी कॉलोनी में खाली प्लॉटों के कचरे के ढ़ेर और गंदा पानी जमा है। जिनमें मच्छर पनप रहे हैं और रहवासी मच्छरों की समस्या से परेशान हैं। वहीं वार्ड क्रमांक 17 के रहवासी भी इसी तरह से मच्छरों से परेशान हैं, लेकिन दवाओं का छिड़काव नहीं हुआ।


हमारी सर्वे टीमें हर दिन लार्वा सर्वे कर रही हैं। अब तक कितने घरों का सर्वे हुआ है ये हम रिपोर्ट देखकर बता पाएंगे।
डॉ. दीपा गंगेले, जिला मलेरिया अधिकारी

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