अशोकनगर

ओपीडी में बैठे सीएमएचओ आयुष डॉक्टरों को भी बिठाया, फिर भी बिना इलाज वापस लौटे सैंकड़ों मरीज

डॉक्टरों की हड़ताल: हड़ताल से बिगड़ी स्वास्थ्य सुविधाएं, डॉक्टर रहे धरने पर और दिनभर भटकते रहे मरीज।- जिला अस्पताल में धरने पर बैठे रहे शासकीय और निजी अस्पतालों के डॉक्टर, स्वास्थ्य व्यवस्थाएं संभालने सीएमएचओ ने लगाई आयुष डॉक्टरों की ड्यूटी।

अशोकनगरJun 18, 2019 / 04:10 pm

Arvind jain

Junior doctors strike continue

अशोकनगर. पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों पर हुए हमले के विरोध में जिले के सभी डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी। पुख्ता सुरक्षा की मांग करते हुए जिला अस्पताल में डॉक्टर सुबह से ही धरने पर बैठ गए, इससे जिलेभर में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं गड़बड़ा गईं। परेशानी को देखते हुए सीएमएचओ ने सरकारी अस्पतालों में 10 आयुष डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई और खुद भी ओपीडी में बैठे। इसके बावजूद भी सभी मरीजों का इलाज नहीं हो पाया और सैंकड़ों मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ा।


सोमवार को जिलेभर के सभी 46 शासकीय डॉक्टर और प्राईवेट डॉक्टर एक दिवसीय हड़ताल पर रहे। इससे जिलेभर में स्वास्थ्य सुविधाएं ठप रहीं, हालांकि समस्या को देखते हुए जिला अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष और एसएनसीयू वार्ड में एक-एक डॉक्टर की ड्यूटी लगाई गई। वहीं जिलेभर में सभी शासकीय अस्पतालों के ओपीडी में मरीजों का इलाज करने के लिए 10 आयुष डॉक्टरों की भी ड्यूटी लगाई गई।

 

वहीं सीएमएचओ डॉ.जेआर त्रिवेदिया ने भी जिला अस्पताल की ओपीडी में बैठकर मरीजों का इलाज किया। इससे मरीजों को घंटों तक अस्पताल में खड़े रहकर अपनी बारी आने का इंतजार करना पड़ा। डॉक्टरों की मांग है कि डॉक्टरों पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए शासन को सख्त कानून बनाया चाहिए, ताकि डॉक्टरों पर होने वाले हमले रुक सकें।


निमोनिया से पीडि़त बच्चे और बुखार के मरीज रहे ज्यादा-
सोमवार को जिला अस्पताल में करीब एक हजार मरीज पहुंचे, जिनमें सबसे ज्यादा मौसमी बीमारियों और बुखार से पीडि़त थे। तो वहीं महिलाएं अपने बच्चों को गोद में लेकर इलाज के लिए भटकती रहीं। इसके अलावा सोमवार को सबसे ज्यादा बच्चे निमोनिया पीडि़त आए तो इलाज के इंतजार में तड़पते रहे, लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टर न मिलने की वजह से घंटों इंतजार के बाद भी उन्हें बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ा। इसके अलावा एक्सीडेंट की घटनाओं के दौरान हाथ, पैर और सिर में लगे टांकों को कटवाने के लिए भी मरीज पहुंचे लेकिन उनके टांके नहीं कट सके।

 


घंटों लाइन में लगे रहने के बाद भी नहीं हुआ इलाज-
जिला अस्पताल में इलाज के लिए सुबह से ही मरीज पहुंच गए, जो पहले तो डॉक्टरों के आने का इंतजार करते रहे लेकिन बाद में पता चला कि सभी अस्पतालों में इलाज बंद है। इससे वह वहीं पर बैठकर लंबे समय तक इंतजार करते रहे। वहीं उमस के बीच घंटों लाइन में लगे रहने के बाद भी इलाज नहीं हो सका तो सैंकड़ों मरीजों को बिना इलाज कराए ही वापस लौटना पड़ा। कुछ मरीज प्राईवेट अस्पतालों में पहुंचे लेकिन वहां भी इलाज न होने से परेशान रहे।

 

मरीजों और अटेंडरों ने बताई समस्या-
बच्चा निमोनिया से पीडि़त है और हालत ज्यादा खराब होने से तड़प रहा है। लेकिन कोई भी डॉक्टर नहीं देख रहे हैं। कई घंटों से डॉक्टरों के इंतजार में बैठे थे। अब बिना इलाज कराए ही दुकान से दवाईयां लेकर वापस जाना पड़ेगा।
रचना अहिरवार, अटेंडर

 

माथे में टांके लगे हैं और डॉक्टरों ने टांके कटवाने के लिए आज बुलाया था। लेकिन आज डॉक्टर सभी धरने पर बैठे हैं और उन्होंने इलाज से इंकार कर दिया है। इससे दिनभर से भटक रहे हैं, बिना डॉक्टर के अस्पताल स्टाफ भी टांके काटने तैयार नहीं हैं।
रज्जन यादव, मरीज


लगभग 50 डॉक्टर धरने पर बैठे हैं, हमारी मांग है कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाया जाए ताकि डॉक्टरों पर होने वाले हमलों को रोका जा सके। 24 घंटे के लिए प्राईवेट अस्पतालों में भी काम बंद रहेगा।
डॉ.डीके जैन, चिकित्सक जिला अस्पताल

 

जिलेभर में करीब 46 शासकीय डॉक्टर हैं और सभी हड़ताल पर हैं। 10 आयुष डॉक्टरों की सरकारी अस्पतालों के ओपीडी में ड्यूटी लगाई है। इमरजेंसी और एसएनसीयू में भी डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई है। कुछ परेशानी आई है, लेकिन मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
डॉ.जेआर त्रिवेदिया, सीएमएचओ अशोकनगर

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