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मगरमच्छों के बीच से पानी लाने को मजबूर हैं ग्रामीण

locationअशोकनगरPublished: Mar 16, 2018 11:36:22 am

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

30 से अधिक गांवों में गड्ढों से और 200 गांवों में धूप में दो किमी दूर से पानी ढो रहीं महिलाएं-युवतियां

Women carrying water

Ashoknagar Women carrying water from the river in Parasari village

अशोकनगर. बढ़ती गर्मी के साथ जिले के ज्यादातर गांवों में जलस्तर गंभीर स्थिति तक घट गया है। कहीं हैंडपंप दम तोड़ रहे हैं तो कहीं पेयजल स्रोत सूख चुके हैं।ग्रामीणों को पानी के लिए अपनी जान का जोखिम तक उठाना पड़ रहा है।कई जगह तो गंदा पानी पीने की मजबूरी है तो कहीं दो से तीन किमी दूर से पानी ढोने की आफत।

जिले के 870 में से करीब 250 गांवों में पेयजल की समस्या गंभीर हो गई है। पेयजल स्रोत सूखने या हैंडपंप खराब होने से महिलाओं को दो से तीन किमी दूर से पानी ढ़ोना पड़ रहा है। वहीं 30 से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां ग्रामीणों ने पेयजल की व्यवस्था के लिए सूखे नालों में गड्ढे खोद लिए हैं और इन गड्ढ़ों से पानी की व्यवस्था करना पड़ रही है।

इसके अलावा जिले में एक गांव ऐसा भी है, जहां जान जोखिम में डालकर महिलाएं और युवतियां मगरमच्छों से भरी नदी से पानी भरकर घरों पर पीने के पानी की व्यवस्था कर रही हैं। लेकिन इसके बावजूद भी बूंद-बूंद पानी के लिए मशक्कत कर रहे इन ग्रामीणों की चिंता न तो विभाग को है और न हीं प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को।

पत्रिका ने ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल की पड़ताल की, तो ऐसे मिले हालात
1. गड्ढे का गंदा पानी पी रहे ग्रामीण
अशोकनगर ब्लॉक का 400 की आबादी वाला बाबूपुर गांव। पंचायत मुख्यालय होने के बाद भी यहां एक भी हैंडपंप नहीं है। लोगों ने गांव से करीब आधा किमी दूर खेत में एक गड्ढा खोद लिया है, जहां से वह पानी भरते हैं। इस गड्ढे में भी मात्र आधा फिट पानी बचा है, जो गंदा हो चुका है। युवतियां और बच्चे गड्ढे का गंदा पानी भरते दिखे। ग्रामीणों का कहना हैकि कुछ दिन में यह पानी सूख जाएगा, फिर उन्हें हर रोज ऊबडख़ाबड़ रास्ते से निकलकर डेढ़ किमी दूर छपराई गांव से पीने के लिए पानी लाना पड़ेगा।

2. नदी से पानी लाकर बुझाते हैं प्यास
मुंगावली ब्लॉक की बामोरीटांका ग्राम पंचायत का 500 की आबादी वाला गुरैया परासरी गांव।गांव में दो हैण्डपंप हैं, जो वर्षों से बंद पड़े हैं। इससे ग्रामीण आधा किमी दूर स्थित बेतवा नदी से पानी लाकर प्यास बुझाते हैं। जबकि बेतवा इसी जगह पर गहरी है और यहां बड़े-बड़े मगरमच्छ रहते हैं। पानी भरने महिलाएं ग्रुप में जाती हैं और जब महिलाएं नदी किनारे पानी भरती है, उस दौरान पुरुष घाट पर खड़े होकर नजर रखते हैं कि कहीं किसी पर कोई मगरमच्छ
हमला न कर दे।

3. दो किमी दूर से ला रहे पानी
मुंगावली ब्लॉक का 800 की आबादी वाला बामोरीटांका गांव। गांव में सात हैण्डपंप है, जो जलस्तर घटने से सूख चुके हैं। ग्रामीणों ने खेत पर लगे ट्यूबवेल से साढ़े तीन हजार फिट पाइप लाइन डालकर 50 घरों के लिए पानी की व्यवस्था कर ली, लेकिन गांव के शेष घरों में पानी की व्यवस्था के लिए महिलाएं तपती पठार से निकलते हुए दो किमी दूर दूसरे गांव से पानी लेने जाती हैं।

जहां से सूचना मिल रही है हम हैण्डपंप सुधरवा रहे हैं। नए हैण्डपंप राशि स्वीकृत होने के बाद भी लगाए जा सकते हैं। जो भी हैण्डपंप खराब हैं उन्हें जल्दी सुधरवाया जाएगा।
– एसके लहारिया,

एई पीएचई अशोकनगर
150 हैंडपंप लगवाने और 200 नलकूपों में सिंगलफेस मोटर डलवाने तथा पाईप विस्तार व पेयजल परिवहन कराने के लिए शासन को पीएचई के माध्यम से 4.8 8 करोड रुपए का प्रस्ताव भिजवाया है। गांवों में पेयजल की समस्या नहीं आने दी जाएगी।
– बीएस जामोद, कलेक्टर अशोकनगर

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