गुरुवार को मंडी में इस सीजन की सबसे ज्यादा आवक रही। जिसमें आरोन, सिरोंज, कुरवाई और शिवपुरी जिले के साथ अशोकनगर जिले के करीब पांच हजार से अधिक किसान अपनी फसलों के साथ पहुंचे। तेज धूप और भीषण गर्मी होने से किसानों को मंडी में पीने के पानी के लिए भटकना पड़ा। यह एक दिन की बात नहीं, बल्कि रोजाना ही मंडी में पेयजल के यह हालात हैं।
ज्यादातर टंकियां तो मंडी से गायब हो चुकी हैं और टोंटियां भी चोरी हो गई हैं, वहीं मंडी कार्यालय के पास ही एक प्याऊ में और टीनशेड़ में एक टोंटी में पानी आता है, लेकिन इनमें गर्म पानी निकलने की वजह से किसानों-हम्मालों के साथ व्यापारियों को भी पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है। जबकि मंडी में दो बड़ी टंकियां बनी टंकियां और छह छोटी टंकियां बनी हुई हैं, लेकिन यह टंकियां सिर्फ शोपीस बनकर रह गई हैं। जिनमें लोगों को पीने का पानी नहीं मिलता है। व्यापारी तो अपने घरों से पानी ले जाते हैं, लेकिन किसानों और हम्मालों को मंडी से बाहर शहर में लगे हैण्डपंपों पर पानी भरने के लिए जाना पड़ता है।
किसानों का कहना है कि मंडी में पीने के पानी की व्यवस्था न होने की वजह से उन्हें अपनी अनाज की ट्रॉलियों को छोड़कर मंडी के बाहर पानी भरने के लिए जाना पड़ता है। यदि कोई किसान अकेला है और वह पानी भरने चला गया तो उसका अनाज चोरी हो जाता है। वहीं मंडी में रात रुकने के लिए रात के समय भी पानी भरने के लिए शहर में जाना पड़ता है। किसानों का कहना है कि वह पानी भरने जाएं या फिर अपने अनाज की रखवाली करें। कई बार शिकायतों के बाद भी कोई ध्यान नहीं हैं।
30 लाख खर्च किए थे, लेकिन व्यवस्थाएं ही गायब-
किसानों को 24 घंटे पानी उपलब्ध कराने के लिए तीन साल पहले मंडी समिति ने एक बड़ी टंकी का निर्माण कराकर पार्क के चारों तरफ चार छोटी टंकियां बनवाई थीं। साथ ही पार्क के चारों तरफ 60 टोंटियां लगाई गई थीं। इसके अलावा मंडी के सभी कोनों पर 10-10 हजार लीटर की छह टंकियां भी रखी गई थीं। इन व्यवस्थाओं पर 30 लाख रुपए खर्च किए गए थे, लेकिन अब टोंटियां चोरी हो चुकी हैं तो कोनों पर रखी टंकियां भी गायब हैं। पार्क में लगी चारों टंकियां सूखी पड़ी हुई हैं। किसानों को लाइनों में ही पानी उपलब्ध कराने मंडी ने 45 हजार रुपए महीने पानी के ठेके पर खर्च कर रही हैं। इसके बावजूद भी किसान पानी के लिए भटक रहे हैं।
पीने के पानी के लिए किसानों का दर्द-
रंगपंचमी के दिन फसल लेकर आए थे, धीमी गति से नीलामी होने से फसल नहीं बिक पाई और तब से यहीं रुके हुए हैं। मंडी की एक टोंटी चालू हैं, जिसमें गर्म पानी निकलता है। पीने का पानी शहर में लगे हैण्डपंपों पर जाना पड़ता है।
काशीराम कुशवाह, किसान कुरवाई
तीन दिन से रुके हुए हैं और नीलामी धीमी गति से चलने से तीन दिन में भी फसल नहीं बिक पाई। इससे पानी ढूंढकर बाजार से कैन में भरकर लाते हैं। पानी भरने के लिए जाते समय मंडी में अनाज के चोरी होने का डर बना रहता है।
भोलाराम, किसान मुंहासा
एक टोंटी लगी है, जिसमें कभी पानी आ जाता है और कभी बंद हो जाता है। नीलामी में व्यापारियों के आने पर ठेलों पर पानी आता है, लेकिन सभी किसानों को उससे पानी नहीं मिल पाता। इसलिए बाहर से भरकर पानी लाते हैं।
हिमपाल यादव, किसान छपराई
मंडी में पानी की कोई व्यवस्था नहीं हैं, इससे किसान, हम्माल और व्यापारियों को पानी के लिए परेशान होना पड़ता है। व्यापारियों को अपने साथ घर से ही पानी लेकर मंडी में पहुंचना पड़ता है। टंकियां निर्माण के कुछ समय ही चलती हैं और बंद हो जाती हैं।
पवनकुमार जैन, व्यापारी मंडी
मंडी में बोर का जलस्तर घट गया है, लेकिन पानी आ रहा है। प्याऊ में टैंकरों से पानी भरवा रहे हैं और हाथठेलों से भी पानी की व्यवस्था की गई है। पानी की वैसे तो कोई समस्या नहीं है, यदि है तो हम दिखवाते हैं।
सुधीर शिवहरे, सचिव कृषि उपज मंडी अशोकनगर