वहीं जिन लोगों ने नौ दिन तक देवी की आराधना करते हुए व्रत रखे थे उन्होंने अपने व्रत खोले। इस दौरान जगह-जगह कन्यापूजन के कार्यकम भी हुए। इस दौरान मंदिर पर हवन पूजन के साथ रामायण पाठ भी किया गया। पुजारी रामकृष्ण महाराज ने हवन पूजन की प्रक्रिया संपन्न कराई। इस दौरान सैंकड़ों लोग मंदिर पहुंचे।
विसर्जन नदी व तालाबों पर दिनभर चलता रहा
हवन पूजन के लिये मंदिर में केले और आम के पत्तों से मंडल को सजाया गया था। तथा विशाल हवन कुंड की वेदी बनाकर विधि-विधान से हवन कराया गया जो करीब पांच घंटे तक चला। हवन के बाद आरती कर महाप्रसादी का वितरण किया गया। इस दौरान जिले के विभिन्न नगरों व गांवों में लगाई गई माता की झांकियों का विसर्जन नदी व तालाबों पर दिनभर चलता रहा।
दुर्गा सप्तसती पाठ का हुआ समापन
पंचमुखी हनुमान मंदिर पर चल रहे दुर्गा सप्तसती पाठ का समापन मंगलवार को किया गया। इस दौरान देवी सरस्वती व ज्वारे विसर्जन कर कन्याभोज कार्यक्रम आयोजित किया गया।
पुजारी किशन लाल मिश्र ने बताया कि 18 पुराणों में मार्कंडेय पुराण सातवें नंबर पर है जिसमें श्री दुर्गा सप्तशती को पुराणों शास्त्रों वेदों के तीनों के मत से श्री दुर्गा अर्चन का महत्व समझाया गया है। कन्याभोज कराने का सौभाग्य रतन सिंह यादव, नीरज यादव, बबलू पाल सहित अन्य को मिला।
चल समारोह के साथ हुआ दुर्गा विसर्जन
मुंगावली. नवदुर्गा महापर्व के समापन पर दशहरे के दिन नगर में मां दुर्गा का चल समारोह निकाला गया। चल समारोह का शुभारंभ बस स्टेंड से किया गया। इस दौरान नगर में लगाई गई दुर्गा प्रतिमाओं की झांकियों का चल समारोह दोपहर से शुरू होकर देर रात तक चलता रहा।
इस दौरान रोशनी से जगमगाती सड़कें, विद्युत साज सज्जा से दमकती झांकियों की चकाचौंध, नृत्य करते श्रद्धालु व जयकारों से गूंजती गलियां, रात में भी दिन का अहसास करा रही थीं। श्रद्धा भक्ति में मग्न श्रद्धालु मातारानी के जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। इस दौरान ढोल ढमाकों के साथ देवी प्रतिमाओं का विसर्जन करने बेतवा नदी व भुजरिया तालाब घाट पर पहुंचे।