बुजुर्ग दंपती खुमानसिंह रघुवंशी(८०) व गौरा बाई(७५) ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि उनकी इकलौती बेटी सुशीला और दामाद रघुराजसिंह ने धोखे से मकान-जमीन बिकवाकर दर-दर की ठोकरे खाने छोड़ दिया। वह इधर-उधर घूमकर अपना गुजारा कर रहे हैं। बुजुर्ग दंपती ने रोते हुए बताया कि मेरी इकलोती बेटी सुशीला और दामाद रघुराजसिंह एसडीओ सिंचाई विभाग सीताराम कालोनी गुना में रहते हैं। चार मंजिल मकान है और दो-दो चार पहिया गाड़ी हंै। उन्होंने हमारी जमीन, मकान बिकवा दी है और हमसे कहा कि अभी यह बेंच दो बाद में कहां सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाओगे। हमारा अशोकनगर का मकान और तरावली की जमीन बेंच दी और अब हमें बेघर कर दिया है। दो दिन पहले रात में तीन हजार रुपए देकर कार से यहां छोड़ गए। अब हम एक किराये के मकान में रह रहे हैं। इतने में बुजुर्ग महिला रोने लगी और कहा कि बुढ़ापे में खुद से चलते नहीं बनता, आंखों से सही दिखता नहीं है, कैसे खाना बनाऊं या पति की सेवा करूं। बेटी को सब कुछ माना और बेटी दामाद ने जैसा कहा वह हमने किया, लेकिन अब उन्होंने हमें बेघर कर दिया। कहां जाएं इतना सुनते ही बुजुर्ग खुमानसिंह कहने लगे हम वृद्धाश्रम जाएंगे। वकील करेंगे केस लड़ेंगे और अपनी जमीन, मकान का पैसा लेकर रहेंगे।
इस दौरान बुजुर्गों की आपबीती और स्थिति सुन लोगों के भी आंखों से आंसू निकल आए और लोग कहने लगे कि हे राम किसी की भी ऐसी औलाद न हो। घटना की जानकारी लगने पर कुछ लोगों ने जब रघुराज सिंह के मोबाईल पर संपर्क कर बुजुर्गों की स्थिति से अवगत कराया और कहा कि बुजुर्ग दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, आप संपन्न हैं इन्हे घर क्यों नहीं ले जाते तो उन्होंने दो टूक जबाव देते हुए कहा कि अगर आपको शर्म लगती है तो इन्हे अपने घर रख लो। उनका यह जबाव सुनकर लोग कहने लगे कि भले ही वह एक पढ़े लिखे नौकरी पेशा इंसान हैं। लेकिन रिश्ते और भावानात्मक रूप में क्या स्तर है, भगवान ऐसी औलाद व नाते रिश्तेदार किसी को न दे।