मामला जिला अस्पताल की सफाई के ठेके का है। ठेकेदार ने 22 सफाई कर्मचारियों को सफाई व्यवस्था के लिए अस्पताल में नियुक्त किया था। लेकिन सफाई कर्मचारियों का कहना है कि ठेका करीब आठ महीने पहले समाप्त हो गया है और रोगी कल्याण समिति ने उन्हें अस्पताल में सफाई व्यवस्था में लगाया है। कर्मचारियों का आरोप है कि अस्पताल द्वारा फिर से ठेकेदार के कर्मचारी को सुपरवाईजर बना दिया है।
इस पर गुरुवार को सुबह वह अस्पताल में सिविल सर्जन के पास शिकायत करने के लिए गए थे। जहां पर सिविल सर्जन ने कहा कि पुराने ठेकेदार का ही ठेका चल रहा है और कई बार वह कलेक्टर से ठेका बढ़वाकर सफाई कर्मचारियों से काम ले रहे हैं। इस पर कर्मचारियों ने कहा कि हमने चार बार कलेक्टर और सीएमएचओ के पास पहुंचकर शिकायत की थी, तब ठेका निरस्त हुआ था। इसके बाद अस्पताल ने रोगी कल्याण समिति के माध्यम से काम करने के लिए उन्हें नियुक्त किया था। सुपरवाईजर बनाने की बात को लेकर सफाई कर्मचारियों और सिविल सर्जन के बीच बहस शुरू हो गई और लंबे समय तक बहस जारी रही।
कर्मचारियों का आरोप, सुपरवाईजर खा चुका हमारा पैसा-
सफाई कर्मचारियों का कहना है कि पुराने ठेेकेदार का वह कर्मचारी जिसे सुपरवाईजर बनाया गया है, उसने पहले हमारा पीएफ खा लिया और आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाया। लेकिन अब जब रोगी कल्याण समिति सफाई व्यवस्था देख रही है तो फिर पुराने ठेकेदार के कर्मचारी को ही सुपरवाईजर क्यों बनाया जा रहा है। हालांकि सिविल सर्जन का कहना है कि ठेका पुराने ठेकेदार का ही चल रहा है।
मुझे धमकी दी तो मैंने यह कहा-
अस्पताल में सफाई का ठेका है और ठेकेदार ने ही 22 कर्मचारी और दो सुपरवाईजर नियुक्त किए हैं। सुपरवाईजर को हटाने का काम हमारा नहीं है। मैंने कहा कि यदि कर्मचारियों को समस्या है तो लिखकर दें और नोटिस जारी कर हटाने की कार्रवाई करवाई जाएगी। कर्मचारियों ने मुझे धमकी देते हुए कहा कि भदौरिया सुपरवाईजर दिखा तो उसका मर्डर कर देंगे। कर्मचारियों की धमकी सुनकर मैंने कहा था कि मुझसे खतरनाक सीएस नहीं मिलेगा। मैंने उन कर्मचारियों से लिखित शिकायत ले ली है, जिस पर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ.एसएस छारी, सिविल सर्जन जिला अस्पताल अशोकनगर