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खुले मैदान में गृहस्थी दो दिन से नहीं बना खाना, 4 साल के बच्चे ने कहा म मी भू ा लगी तो रो पड़ी मां

locationअशोकनगरPublished: Apr 02, 2019 11:31:18 am

Submitted by:

Arvind jain

कार्रवाई के बाद हालात: मकानों की जगह मलबे के ढ़ेर,उन टुकड़ों को सीने से लगाकर बिलख रहे लोग- पत्थर और अंधेरे के बीच 70 परिवारों ने जागकर गुजारी रात, प्रशासन ने इन परिवारों को खाना भी उपलब्ध नहीं कराया।

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खुले मैदान में गृहस्थी दो दिन से नहीं बना खाना, 4 साल के बच्चे ने कहा म मी भू ा लगी तो रो पड़ी मां

अशोकनगर. सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटने की वजह से मकानों की जगह अब सिर्फ मलबे के ढ़ेर ही लगे हुए हैं, मकान के टूटे टुकड़े देखते ही लोग फफक उठते हैं। खुले मैदान में अंधेरे और पत्थरों के बीच गृहस्थी के सामान की रखवाली करने के लिए परिवारों ने पूरी रात जागकर गुजारी तो वहीं दो दिन से खाना भी नहीं बना। इससे बच्चे भूख से बिलख रहे हैं, लेकिन उनकी सुध प्रशासन ने नहीं ली और दो दिन बीत जाने के बाद भी इन परिवारों को प्रशासन ने खाना उपलब्ध नहीं कराया।

पत्रिका ने सोमवार को राजपुर गांव के हालात जाने, तो ज्यादातर परिवार सड़क किनारे पेड़ों के नीचे और खेतों में अपने गृहस्थी के सामान के साथ रुके मिले। लोगों ने बांस की लाठियों पर कपड़े बांधकर छाया की व्यवस्था की है, तो वहीं चार परिवारों को पंचायत सचिव ने गांव के सरकारी स्कूल में रुकवा दिया है। स्कूल में रुकी बसंतीबाई, परमोबाई और नन्हींबाई का कहना है कि सिर्फ चार महिलाएं और उनके बच्चे ही स्कूल में रुके हुए हैं, लेकिन स्कूल के शिक्षक धमका रहे हैं और स्कूल खाली कराने का दबाव बना रहे हैं।

महिलाओं ने बताया कि शिक्षकों ने धमकी दी है कि यदि शाम तक स्कूल खाली नहीं किया गया तो वह पुलिस थाने में चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराएंगे। इससे सुबह से ही यह महिलाएं फिर से अपना सामान बांधने में जुट गई हैं, इससे सोमवार को भी यह परिवार खाना नहीं बना सके।

जब महिलाएं अपनी समस्या बता रही थीं, तभी चार साल के बच्चे छोटू ने कहा म मी भूख लगी है तो उसकी मां अपने गृहस्थी के सामान की तरफ देखकर रो पड़ी। ज्यादातर परिवारों में ऐसा ही नजारा है। जबकि एसडीएम ने रविवार को निर्देश दिए थे कि इन परिवारों को खाना की व्यवस्था कराई जाए, लेकिन खाना तो दूर किसी ने पानी की व्यवस्था के बारे में भी नहीं पूछा।

 

पीएम आवास, शौचालय के साथ टूट गईं सरकारी योजनाएं
ग्रामीणों का कहना है कि इसी जगह पर कुछ परिवारों के पीएम आवास और इंदिरा आवास भी बने हुए थे। वहीं स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव को ओडीएफ बनाने के लिए प्रशासन ने सभी रहवासियों को घरों में शौचालय बनाने का दबाव बनाया, इससे लोगों ने अपने घरों में शौचालय भी बनवाए थे। वहीं मुद्रा योजना सहित शासन की विभिन्न योजनाओं के लाभ से कुछ लोगों ने दुकानें भी खोली थीं, लेकिन अतिक्रमण हटाने के दौरान पीएम आवास, इंदिरा आवास, शौचालय और मुद्रा योजना की दुकानें भी धरासाई हो गईं।

 

ग्रामीणों की मांग, अपर कलेक्टर के आदेश पर करवाएं अमल
अपने मकान और दुकान टूट जाने के बाद ग्रामीण सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे और भूख-प्यास से जूझ रहे परिवारों की समस्या बताई। साथ ही कहा कि अब उनके पास न तो रहने के लिए जगह बची और न हीं रोजगार की कोई व्यवस्था है। इसलिए ग्रामीणों की जरूरतों की पूर्ति के मानवीयता के आधार पर व्यवस्थाएं कराई जाएं।

वहीं ग्रामीणों ने यह भी कहा कि जिस सर्वे नंबर 503 से अतिक्रमण हटाया गया है, उस सर्वे नंबर की 1.254 हेक्टेयर जमीन को 1994 में अपर कलेक्टर ने आबादी क्षेत्र घोषित कर दिया था, ताकि वहां पर लोग अपने मकान बना सकें। लेकिन आदेश पर अमल नहीं हुआ। ग्रामीणों ने कलेक्टर से मांग की है कि अब तो इस आदेश पर अमल कर लिया जाए, ताकि लोगों को रहने के लिए भूखंडों की व्यवस्था हो सके।

मैय्यत के लिए जगह न होने से अशोकनगर मे किया अंतिम संस्कार
रविवार को राजपुर कस्बे में अतिक्रमण हटाने से पहले सामान हटाने के दौरान 22 वर्षीय रफीक पुत्र हबीब खां की करंट की चपेट में आने से मौत हो गई थी। लेकिन उसका घर टूट जाने से परिवार के पास मैय्यत रखने की भी जगह नहीं बची थी।

जब मामले की जानकारी समाज के लोगों को मिली, तो उन्होंने अशोकनगर में ही मृतक का अंतिम संस्कार किया। समाज के सैंकड़ो लोग शवयात्रा में शामिल हुए और उन्होंने शहर के कब्रिस्तान पर ले जाकर ही मृतक को दफन किया।

कलेक्ट्रेट आए ग्रामीणों ने सुनाई अपनी व्यथा मुद्रा योजना से लोन लेकर दुकान ली थी, मकान-दुकान सभी टूट गए। न रहने की जगह बची और न हीं दुकान। प्रशासन से मदद मांगने आए हैं कि फिर से स्थापित किया जाए।

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