चिरौली गांव निवासी खुमानसिंह रघुवंशी 20 क्विंटल उड़द लेकर समर्थन मूल्य खरीदी केंद्र पर पहुंचे तो उड़द का रंग भूरा होने से एफएक्यू क्वालिटी का नहीं माना और रिजेक्ट कर दिया। साथ ही कहा कि भूरे और काले रंग का चिकना उड़द नहीं खरीदा जाता। समिति प्रबंधक किसान खुमानसिंह को यह लिखकर भी दे दिया। खुमानसिंह सहित उनके क्षेत्र के करीब 20 किसान अपना उड़द न बिकने से चार से पांच बार कलेक्ट्रेट में शिकायत कर चुके हैं,
जिले में उत्पादन पर एक नजर-
खरीफ सीजन में जिले में एक लाख हेक्टेयर में उड़द की बोवनी हुई यानी 4.75 लाख बीघा में। कहीं पर एक क्विंटल, दो क्विंटल तो कहीं पर उत्पादन 50 किलो, 35 किलो प्रति बीघा भी हुआ। औसत 75 किलो प्रति बीघा उत्पादन हुआ। इससे 4.75 लाख बीघा में तीन लाख 56 हजार 250 क्विंटल उड़द की पैदावार हुई। जबकि इसमें से मंडियो में मात्र 1.50 क्विंटल उड़द बिका, जिसमें इस बार 31 दिसंबर तक जिले की सबसे बड़ी मंडी में मात्र 81 हजार 515 क्विंटल उड़द बिका।
मंडी में 2700 से 2800 रुपए क्विंटल रेट-
जिले के किसानों पर अभी करीब दो लाख क्विंटल उड़द घरों पर रखा हुआ है। किसान बलरामसिंह के मुताबिक उनके पास 100 क्विंटल उड़द रखा है और गदूली के किसान आबिद पटेल का कहना है कि 300 क्विंटल से अधिक उड़द घर पर रखा हुआ है। पिछले वर्षों में पांच से छह हजार रुपए प्रति क्विंटल बिकने वाला उड़द इस बार मंडियों में मात्र 2700 से 2800 रुपए क्विंटल बिक रहा है। इससे घरों पर उड़द रखकर अच्छी रेट का इंतजार कर रहे हैं, नहीं तो मजबूरी में सस्ती रेट पर ही बेचना पड़ेगा।
हकीकत: केंद्रों पर लटके ताले, पसरा सन्नाटा-
समर्थन मूल्य खरीदी 19 जनवरी तक जारी रहेगी। लेकिन पत्रिका ने जब हकीकत जानी तो केंद्रों पर सिर्फ दीवार ही केंद्र का नाम लिखा मिला। शहर के मोहरी स्टेडियम में बने सहकारी संस्था बामोरी के खरीदी केंद्र पर ताला लटका हुआ था और वहां पर कोई कर्मचारी भी मौजूद नहीं था। वहीं यही स्थिति अन्य केंद्रों पर भी रहीं जहां सन्नाटा पसरा रहा और विभाग के रिकॉर्ड में इन केंद्रों पर उड़द की खरीद होना है।
जिले में 19 केंद्र बनाए थे, जिनमें से अब तक सात केंद्रों पर 59 किसानों ने अपना 954.10 क्विंटल उड़द बेचा। वहीं शेष केंद्रों पर कोई खरीदी नहीं हुई। खरीदी मार्कफेड कर रही है और सर्वेयरों द्वारा जांच की जाती है।
एमएस राठौर, कनिष्ठ आपूति अधिकारी अशोकनगर