रेलवे के अधिकारी आग लगने का कारण गर्मी को बता रहे हैं। उनका कहना है कि कोयले में नीचे से लगी। यदि कोई ऊपर से फेंकता या स्पार्किंग से लगी होती तो आग कोयले में ऊपर लगती।
स्टेशनों पर रुकी रहीं यात्री ट्रेनें
आग की यह घटना उस समय की है, जब रूट पर कई यात्री ट्रेनें निकलती हैं। इससे यात्री ट्रेनें लंबे समय तक अन्य स्टेशनों पर रुकी रहीं। बीना-कोटा पैसेंजर करीब एक घंटे की देरी से आई। जो करीब 20 मिनिट तक मुंगावली और 20 मिनिट तक गुन्हेरू स्टेशन पर रुकी रही। वहीं दमोह-ग्वालियर पैसेंजर ट्रेन को भी आधा घंटे तक गुन्हेरूबामोरी स्टेशन पर रोका गया। जो देरी से अशोकनगर आ सकी। वहीं रेहटवास स्टेशन पर यह मालगाड़ी सुबह साढ़े10 बजे से शाम को पांच बजे तक मुख्य ट्रेक पर ही रुकी रही।
जानकारी मिलने पर जहां करीब सवा घंटे देरी से फायर ब्रिगेड अशोकनगर से रेहटवास स्टेशन पहुंची। ऐसे में ओएचई लाइन को बंद करने की अनुमति मिलने में भी अधिकारियों को करीब 40 मिनट का समय लगा। इससे साढ़े 12 बजे फायर ब्रिगेड आग बुझाना शुरू कर पाई। लोगों का कहना है कि यदि मालगाड़ी में आग तेज होती तो बड़ा हादसा हो सकता था।
गैंगमेन ने सूचना दी तो मालगाड़ी को रेहटवास रुकवाया गया। जहां पर आधा घंटे के लिए ओएचई लाइन को बंद कर फायर ब्रिगेड से आग बुझवाई गई। ट्रेन के 23वे नंबर के डिब्बे में धुआं निकल रहा था और पीछे 33 डिब्बे और थे। इससे चलती ट्रेन में आग फैलने का खतरा था। गैंगमेन की सजगता से जल्दी जानकारी मिल गई और आग पर काबू पा लिया। शाम पांच बजे ट्रेन को मुख्य लाइन से हटाया गया।
बीएल मीणा, परिवहन निरीक्षक रेलवे स्टेशन अशोकनगर