scriptKarila mela: पहली बार रंगपंचमी पर सूनी पड़ी रही करीला पहाड़ी | For the first time, Karila Hill was lying on Rangpanchami | Patrika News

Karila mela: पहली बार रंगपंचमी पर सूनी पड़ी रही करीला पहाड़ी

locationअशोकनगरPublished: Apr 03, 2021 12:08:58 am

Submitted by:

Manoj vishwakarma

करीला मेला: बॉर्डर सील और सड़कों पर 13 पॉइंट, वाहनों को लौटाया, पैदल व बाइकों से पहुंचे 15 हजार श्रद्धालु

Karila mela: पहली बार रंगपंचमी पर सूनी पड़ी रही करीला पहाड़ी

Karila mela: पहली बार रंगपंचमी पर सूनी पड़ी रही करीला पहाड़ी

अशोकनगर/मुंगावली. प्रशासन ने बॉर्डर सील कर सड़कों पर 13 पॉइंट लगाए और श्रद्धालुओं के वाहनों को भी रोक दिया गया, लेकिन फिर भी पैदल और बाइकों से करीब 15 हजार श्रद्धालु करीला पहुंचे, जिन्होंने मां जानकी के दर्शन किए और सड़कों और कच्चे रास्तों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु तेज धूप के बावजूद पैदल करीला जाते दिखे। हालांकि सख्ती होने की वजह परिसर में भीड़ नहीं हो सकी।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए शासन ने करीला के रंगपंचमी मेले पर प्रतिबंध लगाया। इससे गुरुवार शाम से ही प्रशासन ने सख्ती बरतना शुरु कर दिया और करीला जाने वाले श्रद्धालुओं के वाहनों को रोक दिया गया। इससे श्रद्धालु मुख्य सड़कों व गांवों के कच्चे रास्तों से पैदल चलते हुए करीला पहुंचे और मां जानकी के दर्शन किए। वहीं सुबह के समय विदिशा जिले के ललितपुर गांव के करीब पांच दर्जन ग्रामीणों ने पहुंचकर परंपरा के अनुसार मां जानकी को झंड़ा चढ़ाया और पूजा-अर्चना की। सुबह से शाम पांच सात बजे तक करीब 15 हजार श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं।
इतिहास बना: न राई हुई और न गूंजी घुंघरुओं की आवाज

जहां हर साल रंगपंचमी पर 20 से 25 लाख श्रद्धालु करीला पहुंचते थे और शाम होते ही श्रद्धालुओं के जनसैलाब की वजह से लोगों को रास्तों पर पैदल चलने भी जगह नहीं मिल पाती थी। लेकिन प्रतिबंधों के चलते इस बार सिर्फ 15 हजार श्रद्धालु ही पहुंचे। साथ ही पहली बार रंगपंचमी पर न तो कोई नृत्य हुआ और ढ़ोल-नगडिय़ा व घुंघरुओं की आवाज भी नहीं गूंजी। इससे क्षेत्र में अजीब सा सन्नाटा सा छाया रहा।
मेटाडोर और बसों को पुलिस ने लौटाया

सागर जिले से चार-पांच बसें श्रद्धालुओं को लेकर करीला जाने के लिए पहुंची, जिन्हें बहादुरपुर पुलिस ने घाटबमूरिया से वापस लौटा दिया। वहीं गुना तरफ से आने वाले वाहनों को भी पीलीघटा पर ही रोक दिया। उप्र व बीना के रास्तों को भी पुलिस लगाकर बंद कर दिया गया। वहीं मुंगावली तरफ से भी कुछ मेटाडोर श्रद्धालुओं को भरकर पहुंची तो पुलिस ने करीला मार्ग पर प्रवेश नहीं करने दिया। वाहनों को दूर सड़क किनारे लगाकर श्रद्धालु पैदल चलकर करीला पहुंचे। नतीजतन पहाड़ों से होते हुए लोगों के झुंड-झुंड करीला जाते दिखे।
प्रतिबंध था इसलिए दोपहर बाद प्रशासन ने घटाई संख्या

दोपहर तक तो अधिकारी-कर्मचारी चार से पांच हजार श्रद्धालुओं के करीला पहुंचने की बात कहते रहे। लेकिन प्रशासन द्वारा पूरी ताकत झोकने के बाद भी करीला में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे तो शाम के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने श्रद्धालुओं की संख्या को घटा दिया, जो सभी शाम होते ही दिनभर में एक हजार से 1200 श्रद्धालुओं के ही करीला आने की बात कहने लगे। जबकि वहां ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों द्वारा 15 हजार से अधिक श्रद्धालु आने की बात कही जा रही है।
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