चंदेरी कस्बे में फूटा कुआ क्षेत्र स्थित भार्गव निवास से शुक्रवार को शाम को सोने से मढ़ी मूर्तियों की ये शोभायात्रा शुरू होगी। गणगौर की प्रतिमाओं को राजसी वस्त्रों एवं रत्नजड़ित स्वर्ण आभूषणों से सजाकर शोभायात्रा निकाली जाएगी। शोभायात्रा शाम को पांच बजे से शुरू होगी और नरसिंह मंदिर सहित विभिन्न मार्गों से होते हुए मेला ग्राउंड पर पहुंचेंगी। यहां करीब चार घंटे गणगौर मूर्तियां लोगों के दर्शन के लिए रखी जाएंगी। इस दौरान परंपरा अनुसार शोभायात्रा के सामने और मेला ग्राउंड पर नृत्यांगनाएं नृत्य करेंगी। इस आयोजन को देखने के लिए आसपास के क्षेत्र सहित ललितपुर व झांसी से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
गणगौर यात्रा की यह परंपरा करीब 150 साल से अधिक पुरानी है। भार्गव परिवार के विवेकांत भार्गव ने बताया कि चंदेरी में उसी समय की यह मिट्टी की चार.चार फीट ऊंची चार प्रतिमाएं हैं जिन्हें तीन दिन के लिए निकाला जाता है। गणगौर मेला समाप्त होने के बाद सुरक्षित तरीके से अलमारी में रख दिया जाता है। उन्होंने बताया कि पहले चंदेरी में रहने वाले एक मारवाड़ी परिवार ने यह परंपरा शुरू की थी लेकिन किसी कारण से वह चंदेरी छोड़कर चले गए और यह प्रतिमाएं भार्गव परिवार को सौंप गए।
होगी सुरक्षा
चंदेरी थाना प्रभारी उमेश उपाध्याय के मुताबिक इस भव्य शोभायात्रा के दौरान सुरक्षा के लिए करीब 15 पुलिस जवानों की ड्यूटी लगाई जा रही है। प्रतिमाओं के स्वर्ण शृंगार के कारण इनके आसपास पुलिस ज्यादा चौकस रहेगी। हर साल चंदेरी में होने वाले इस उत्सव को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं।