धरनास्थल पर जब ज्ञापन लेने के लिए महिला बाल विकास अधिकारी और महिला सशक्तिकरण अधिकारी पहुंची, तो आशाओं ने नारेबाजी कर उन्हें लौटा दिया। इससे दोनों ही अधिकारी यह कहते हुए वापस चली गईं कि हम तो ज्ञापन लेने आए थे, यदि ज्ञापन नहीं देना है तो मत दो। आशा कार्यकर्ता कलेक्टर को ज्ञापन देने की मांग पर अड़ी हुई थीं, हालांकि बाद में डिप्टी कलेक्टर ने पहुंचकर उनसे ज्ञापन लिया।
आशा-ऊषा सहयोगिना एकता यूनियन के नेतृत्व में हुए इस धरना प्रदर्शन के माध्यम से आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं की मांग है कि वचन पत्र अनुसार उन्हें नियमित किया जाए। साथ ही आशा-ऊषा को 20 हजार रुपए व सहयोगिनी को 24 हजार रुपए न्यूनतम वेतन दिया जाए।
वहीं प्रोत्साहन व मानदेय प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह को नियमित रूप से भुगतान किया जाए और अन्य राज्यों की तरह मप्र सरकार भी उन्हें अतिरिक्त मानदेय दे। साथ ही केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित 2 हजार रुपए की निश्चित प्रोत्साहन राशि नियमित रूप से भुगतान की जाए और खाते में जमा होने वाली प्रत्येक प्रोत्साहन राशि की विवरण पर्ची भी दी जाए। संगठन ने मुख्यमंत्री के नाम यह ज्ञापन दिया। जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री से वचन पत्र को लागू कराने की मांग की है।
ज्ञापन में यह भी की गई मांग-
– सभी बैठकों और विभागीय गतिविधियों में बुलाए जाने पर यात्रा व्यय एवं भत्ता दिया जाए। बीमारी की अवस्था में उन्हें शासकीय अस्पताल में निशुल्क इलाज व दवाएं उपलब्ध कराएं।
– एएनएम की नियुक्ति में 50 फीसदी रिक्त पदों में पदोन्नति दी जाए और इसके लिए आयुसीमा का बंधन समाप्त किया जाए। जरूरी दवाएं व मेडीकल किट नियमित रूप से दिया जाए।
– विभागीय व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की जाने वाली प्रताडऩा की कार्रवाई को रोका जाए और सभी कार्यकर्ताओं को गरीबी रेखा के राशन कार्ड जारी कर 35 किलो अनाज दिलाएं।