यह कैसा कायाकल्प: टाइल्स टूटी तो प्लेटफॉर्म पर हुए गड्ढ़े व किनारे भी टपके, अब दुर्घटना की आशंका
-साढ़े चार करोड़ रुपए हुए थे खर्च, ढ़ाई साल में ही बदहाल स्थिति में प्लेटफॉर्म।
अशोकनगर
Published: July 02, 2022 09:22:17 pm
अशोकनगर. रेलवे स्टेशन को हेरीटेज लुक देकर सुंदर बनाने कायाकल्प पर साढ़े चार करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। लेकिन सुंदर बनने की वजाय ढ़ाई साल में ही स्टेशल बदहाल सा नजर आ रहा है। जहां आकर्षक व मंहगे टाइल्स टूटकर उखड़ गए और प्लेटफॉर्म गड्ढ़ों में तब्दील हो गया, तो वहीं किनारे भी टपकने लगे हैं। इससे अब दुर्घटना की आशंका नजर आ रही है, फिर भी जिम्मेदार कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
मामला शहर के रेलवे स्टेशन का है। जहां पर ढ़ाई साल पहले ही कायाकल्प पर साढ़े चार करोड़ रुपए रेलवे ने खर्च किए थे। इसके लिए स्टेशन भवन का लुक बदला और प्लेटफॉर्म की पुरानी टाइल्स हटाकर मंहगी टाइल्स लगाई गईं, दीवारों का रंगरोगन हुआ, साथ ही बाहर हरियाली दीवार तैयार की गई थी। लेकिन हरियाली दीवार पर हरियाली तो कुछ समय में ही गायब हो गई, वहीं भवन पर लगे पत्थर टपक गए और प्लेटफॉर्मों के टाइल्स टूट गए। प्लेटफॉर्म क्रमांक दो पर टाइल्स टूटने से लंबे-लंबे गड्ढ़े हो गए हैं। जबकि ट्रेन में बैठने प्लेटफॉर्म पर यात्रियों का दौड़ लगाना आम बात यह है, लोगों का कहना है कि यदि यात्री ट्रेन में बैठने की जल्दबाजी मेंं प्लेटफॉर्म के इन गड्ढ़ों से फिसलकर गिरा तो दुर्घटना की आशंका है।
डीआरएम ने कही थी जांच के बाद-
कुछ महीने पहले स्टेशन पर पहुंचे डीआरएम को शहरवासियों ने कायाकल्प की हकीकत बताई थी और ज्यादातर जगहों पर ले जाकर उन्हें बदहाल होती स्थिति को बताया था। इस पर डीआरएम ने जांच कराने की बात कही थी, लेकिन जांच हुई या नहीं, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका। शहरवासी हेमंत मोरीवाल का कहना है कि प्लेटफॉर्म क्रमांक दो पर जगह-जगह गड्ढ़े हो गए है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा है, बारिश का मौसम शुरु हो गया है और ऐसे में इन गड्ढ़ों से दुर्घटना हो सकती है, क्योंकि यात्री जल्दबाजी में गड्ढ़ों पर गौर नहीं कर पाते।
कायाकल्प के कुछ महीनों बाद ही यह होने लगे थे हालात-
- प्लेटफॉर्म क्रमांक दो के बार डामरीकरण किया गया और बाहर फब्बारा लगाया गया, जबकि पहले से पता था कि लाइन दोहरीकरण के लिए यहां खुदाई होगी, नतीजतन फब्बारा डेढ़ साल बाद गायब हो गया।
- प्लेटफॉर्म क्रमांक एक के बाहर टॉयलेट निर्माण किया गया, कुछ महीने में ही उसके गेट टूट गए और लंबे समय से रैलिंग गेट पर बंधी हुई है और टॉयलेट बंद रहा, इससे यात्री परेशान होते रहते हैं।
- वेटिंग हॉल व टिकिट काउंटर के पास दीवारों पर मंहगी टाइल्स लगाई गई थीं, जो कुछ महीने बाद ही उखड़ गईं, बार-बार गिर जाती हैं और ढ़ाई साल में कई बार इन टाइल्सें दोबारा लगाना पड़ीं।
- स्टेशन परिसर में बनाए गए पार्क खत्म हो गए और लोगों को बैठने लगीं बेंच गायब, विभिन्न कलाकृतियां भी खराब हो गईं, सेल्फी पॉइंट भी अनदेखी का शिकार बन गया, पत्थर टपकने लगे थे।

टाइल्स टूटी तो प्लेटफॉर्म पर हुए गड्ढ़े व किनारे भी टपके, अब दुर्घटना की आशंका
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