अगस्त में विवाद के बाद बंद हुआ था खनन
बारिश के मौसम में जहां कलेक्टर ने सभी लाइसेंसी खदानों में भी खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन मल्हारगढ़ के निसई घाट पर बारिश के दौरान दो माह तक रेत का अवैध खनन चलता रहा था। पास में ही दूसरा खनन शुरू हो जाने से विवाद हो गया था और मामला पुलिस तक पहुंच गया था।
बारिश के मौसम में जहां कलेक्टर ने सभी लाइसेंसी खदानों में भी खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन मल्हारगढ़ के निसई घाट पर बारिश के दौरान दो माह तक रेत का अवैध खनन चलता रहा था। पास में ही दूसरा खनन शुरू हो जाने से विवाद हो गया था और मामला पुलिस तक पहुंच गया था।
छोटी नदियों पर भी जारी है खनन
यह मामला सिर्फ बेतवा नदी में ही नहीं, बल्कि बरखेड़ाछज्जू की नदी और सोवत गांव के पास सिंध नदी पर भी रेत का अवैध खनन चल रहा है। वहीं जिले की अन्य छोटी-छोटी नदियों पर भी रेत की चोरी का काम धड़ल्ले से जारी है। अवैध उत्खननकारी शासन को हर माह करोड़ों रुपए का चूना तो लगा ही रहे हैं, साथ नदियों के घाटों को भी खत्म कर रहे हैं, उत्खनन की वजह से घाटों की मिट्टी नदियों में जमा हो रही है। वहीं बोट मशीनें चलने से जलीय जंतु भी खतरे में हैं।
यह मामला सिर्फ बेतवा नदी में ही नहीं, बल्कि बरखेड़ाछज्जू की नदी और सोवत गांव के पास सिंध नदी पर भी रेत का अवैध खनन चल रहा है। वहीं जिले की अन्य छोटी-छोटी नदियों पर भी रेत की चोरी का काम धड़ल्ले से जारी है। अवैध उत्खननकारी शासन को हर माह करोड़ों रुपए का चूना तो लगा ही रहे हैं, साथ नदियों के घाटों को भी खत्म कर रहे हैं, उत्खनन की वजह से घाटों की मिट्टी नदियों में जमा हो रही है। वहीं बोट मशीनें चलने से जलीय जंतु भी खतरे में हैं।
बड़ा सवाल: आखिर क्यों नहीं होती कार्रवाई
जिले में बड़े स्तर पर चल रहे रेत के इस अवैध कारोबार से जहां उत्खननकारी तो रोजाना दो लाख रुपए से ज्यादा कमा रहे हैं, लेकिन अधिकारियों को ऐसा क्या लाभ मिलता है जो वह जानकारी मिलने के बावजूद भी अवैध उत्खनन पर कार्रवाई नहीं करते हैं। इससे क्षेत्र के लोगों का सवाल है कि क्या इसी तरह से जिम्मेदार मूकदर्शक बनकर शासन को खनिज का चूना लगते देखते रहेंगे। इससे जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी लोग सवाल उठाने लगे हैं।
&मैं अभी चुनाव की बैठक में व्यस्त हूं, किसी को भेजकर दिखवा लेता हूं। यदि रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है तो कार्रवाई की जाएगी।
आरए प्रजापति, एसडीएम मुंगावली
जिले में बड़े स्तर पर चल रहे रेत के इस अवैध कारोबार से जहां उत्खननकारी तो रोजाना दो लाख रुपए से ज्यादा कमा रहे हैं, लेकिन अधिकारियों को ऐसा क्या लाभ मिलता है जो वह जानकारी मिलने के बावजूद भी अवैध उत्खनन पर कार्रवाई नहीं करते हैं। इससे क्षेत्र के लोगों का सवाल है कि क्या इसी तरह से जिम्मेदार मूकदर्शक बनकर शासन को खनिज का चूना लगते देखते रहेंगे। इससे जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी लोग सवाल उठाने लगे हैं।
&मैं अभी चुनाव की बैठक में व्यस्त हूं, किसी को भेजकर दिखवा लेता हूं। यदि रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है तो कार्रवाई की जाएगी।
आरए प्रजापति, एसडीएम मुंगावली