वित्त विभाग ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता का हवाला देते हुए बजट की जगह लेखानुदान लाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजा है।
उनकी सहमति मिलते ही इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार इस बार करीब 2.25 लाख करोड़ का बजट प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। ऐसे में शुरुआती पांच माह के खर्चों लिए 70 हजार करोड़ का लेखानुदान लाया जा सकता है।
सरकार का पूरा प्रयास है कि 22 फरवरी के बाद और आचार संहिता से पहले सभी 55 लाख किसानों तक लाभ पहुंच जाएं।
इसके लिए काम करना शुरू कर दिया है। हालांकि सरकार ने सप्लीमेंट्री बजट में 5 हजार करोड़ का प्रावधान भी किया है।लेखानुदान क्या है? : लेखानुदान के तहत सरकार कोई नीतिगत फैसला नहीं करती है। इसके पीछे सैद्धांतिक तर्क यह है कि चुनाव के बाद दूसरे दल या गठबंधन की सरकार बन सकती है। ऐसे में मौजूदा सरकार पूरे साल के लिए नीतिगत फैसले नहीं ले सकती।
इसलिए ला रहे
बजट सत्र 15 फरवरी के बाद बुलाए जाने की संभावना है। सरकार यदि बजट लाती है तो उसे पेश करने से लेकर उस पर चर्चा करानी होगी। इसी दौरान लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में नई योजनाओं और मदों की घोषणा पर चर्चा में परेशानी आएगी। इन सबको ध्यान में रखते हुए सरकार लेखानुदान लाने जा रही है।
क्या है जरूरत?
लेखानुदान लाने का फैसला कैबिनेट में होगा, इससे ज्यादा मैं आपको कुछ नहीं बता सकता।
– अनुराग जैन, पीएस वित्त विभाग