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पहले दिन दो लाख श्रद्धालुओं ने किए मां जानकी के दर्शन, आज 15 लाख श्रद्धालुओं के जुटने का अनुमान

locationअशोकनगरPublished: Mar 25, 2019 10:56:19 am

Submitted by:

Arvind jain

करीला मेला: शुरू हुआ करीला मेला, लव-कुश के जन्म का उत्सव मनाने जुटने लगे श्रद्धालु। – आज रात को सजेगा दुनिया का सबसे बड़ा और अनोखा रंगमंच, खुले आसमान के नीचे खेतों में मशालों की रोशनी में होंगे हजारों की संख्या में राई नृत्य। – सुरक्षा के लिए 1200 पुलिस जवान तैनात, छह अस्थाई पुलिस चौकियां बनाईं। तीन एएसपी और 9 डीएसपी रैंक के अधिकारियों की ड्यूटी।

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पहले दिन दो लाख श्रद्धालुओं ने किए मां जानकी के दर्शन, आज 15 लाख श्रद्धालुओं के जुटने का अनुमान


अशोकनगर. मां जानकी मंदिर करीला में तीन दिवसीय रंगपंचमी मेला रविवार से शुरू हो गया। पहले दिन करीब दो लाख श्रद्धालुओं ने पहुंचकर दर्शन किए और आज मां जानकी के दरबार में करीब 15 लाख श्रद्धालुओं के जुटने का अनुमान है। इससे आज रात को पहाड़ी सहित आसपास के छह किमी क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा और अनोखा रंगमंच सजेगा, जहां पर हजारों की संख्या में नृत्यांगनाएं खुले आसमान में खेतों में मशालों की रोशनी के बीच राई नृत्य करेंगी। इस अनोखे रंगमंच में शामिल होने के लिए जिले की हर सड़क पर श्रद्धालुओं की भीड़ करीला के लिए मुडऩे लगी है। साथ ही व्यवस्थाओं के लिए दो हजार कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है।

मेले के लिए प्रशासन ने जहां पूरी तैयारियां कर ली हैं और मंदिर को आकर्षक रूप में सजाया गया है। साथ ही पहाड़ी से नीचे छह किमी क्षेत्र में मेला लग चुका है। शनिवार को सुबह से ही दुकानदारों ने पहुंचना शुरू कर दिया था, तो वहीं रविवार को सुबह से ही श्रद्धालुओं का करीला में पहुंचना शुरू हो गया है। इससे रविवार को करीला के पहुंच मार्गों के साथ नेशनल हाईवे और अशोकनगर विदिशा मार्ग पर दिनभर श्रद्धालुओं से भरे वाहनों की आवाजाही जारी रही।
करीला ट्रस्ट के अध्यक्ष महेंद्रसिंह यादव के मुताबिक रविवार को शाम तक करीब दो लाख श्रद्धालुओं ने पहुंचकर मां जानकी के दर्शन किए। कलेक्टर डॉ.मंजू शर्मा के मुताबिक मां जानकी मंदिर में श्रद्धालुओं को सहज तरीके से दर्शन कराने की व्यवस्था की गई है, रैलिंगों के बीच से आसानी से श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। साथ ही एलईडी स्क्रीन पर भी श्रद्धालुओं को मेले और मंदिर को लाइव दिखाया जाएगा।

सुरक्षा: छह सेक्टर में बांटा मेला, 1200 पुलिस जवान तैनात-
लाखों की संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को देखते हुए करीला में सुरक्षा के लिए मेले को छह सेक्टर में बांटा गया है, प्रत्येक सेक्टर में अस्थाई पुलिस चौकी, अस्थाई अस्पताल और अस्थाई जेल रहेगी। साथ ही अधिकारी भी तैनात रहेंगे। वहीं प्रत्येक सेक्टर में एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड भी तैनात की गई है। साथ ही 1200 पुलिस जवान तैनात किए गए हैं और तीन एएसपी व नौं डीएसपी स्तर के अधिकारी मेले में सुरक्षा व्यवस्था को संभालेंगे। 42 सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जाएगी। इसके अलावा वाच टावर भी बनाए गए हैं।

विशेषता: यहां राम के बिना होती है सीताजी की आराधना-
देश के ज्यादातर मंदिरों में सीताजी की मूर्तियां भगवान राम के साथ विराजमान देखी जाती हैं, तो वहीं कई जगहों पर राम दरबार में वह भगवान राम, लक्ष्मण और हनुमानजी के साथ विराजमान दिखती हैं। लेकिन करीला मंदिर देश का ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां पर माता सीता की आराधना भगवान राम के बिना होती है। जहां माता सीता लव-कुश और महर्षि बाल्मीकी के साथ मंदिर में विराजमान है और सदियों से इसी रूप में उनकी पूजा हो रही है। वहीं रंगपंचमी के अवसर पर मंदिर की गुफा की धूनी को साफ करके एक साल के लिए धूनी की सामग्री रखी जाती है, कहा जाता है कि एक साल बाद जब गुफा को खोला जाएगा तो धूनी जलती हुई मिलेगी।

कोई बेटे तो कोई बहन की शादी की मन्नत लेकर 180 किमी दूर से आया नंगे पैर-
करीला के इस रंगपंचमी मेले में शामिल होने और अपनी मन्नत लेकर श्रद्धालु तेज धूप में भी नंगे पैर चलकर पहुंच रहे हैं। शिवपुरी के करैरा से दो टोलियों में 30 श्रद्धालु करीला पहुंचने पैदल चल रहे हैं। 22 मार्च से निकले यह श्रद्धालु आज शाम को करीला पहुंचेंगे। रामलखन लोधी ने बताया कि वह बेटे की चाह में नंगे पैर माता के दरबार में मन्नत लेकर आया है। वहीं वीरेंद्र अपनी ***** की शादी की मन्नत लेकर पैदल जा रहा है। बृजेश लोधी करीब 10 साल से नंगे पैर हर रंगपंचमी पर करीला पहुंचते हैं, दस साल होने से 10 झंडे कंधे पर लेकर जा रहे हैं, जिसमें छोटे बच्चे भी पैरों में छाले पड़ जाने के बाद भी नंगे पैर चल रहे हैं।
50 साल से मां जानकी के दरबार में नृत्य कर रहीं यह नृत्यांगनाएं-
सिरोंज निवासी 70 वर्षीय नृत्यांगना संपतबाई का कहना है कि वह 50 साल से मां जानकी के दरबार में नृत्य करने आती हैं, बुजुर्ग होने के बाद भी इस बार करीला पहुंचीं और मकसद सिर्फ इतना है कि लव-कुश के जन्म के उत्सव में वह भी नाच सकें। नृत्यांगना विद्याबाई भी 20 साल से आ रही हैं, विद्याबाई के मुताबिक सड़कें नहीं थीं, तो वह पहाड़ी पर पैदल चलकर मां जानकी के दरबार में आती थीं, हालांकि उनका कहना है कि व्यवस्थाएं अच्छी हो जाने से श्रद्धालुओं की समस्याएं भी कम हो गई हैं।

पत्रिका अपील: क्षेत्रवासी श्रद्धालुओं की करें हर संभव मदद-
करीला में करीब पांच प्रदेशों के साथ मप्र के ज्यादातर जिलों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसके लिए जिलेवासियों से पत्रिका की अपील है कि कोसों दूर से आने वाले इन श्रद्धालुओं की हर संभव मदद की जाए, जहां संभव हो वहां पर कम से कम पेयजल की व्यवस्था जरूर करें। ताकि मां के दरबार में पहुंचने वाले इन श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना न करना पड़े।
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