मां जानकी के दरबार में पहुंचकर श्रद्धालुओं ने लव-कुश के जन्म का उत्सव मनाया, तो वहीं सालभर में एक बार सिर्फ रंगपंचमी के दिन खुलने वाली महर्षि बाल्मीकिजी की गुफा को ट्रस्ट ने साफ कराकर फिर से एक साल तक की धूनी की सामग्री रखकर गुफा को बंद किया। मेले के लिए इस बार जहां मंदिर को आकर्षक रूप से सजाया गया था, तो वहीं मेले की तैयारियां भी अच्छी तैयारियां की गई थीं।
सोमवार को शाम होते ही पूरी पहाड़ी और मेला क्षेत्र व पहुंच मार्गों पर श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आई। मेले के चलते यात्री बसों और ट्रेनों में भारी भीड़ रही। साथ ही जगह-जगह हजारों की संख्या में हुए राई नृत्यों की वजह से रातभर करीला क्षेत्र में ढ़ोलक की थाप और घुंघरुओं की आवाज गूंजती रही।
रात में लगातार 9 घंटे लगा रहा नेशनल हाईवे पर जाम-
उप्र, चंदेरी और मुंगावली व विदिशा की तरफ से आने वाले श्रद्धालुओं से भरे वाहनों की वजह से बंगलाचौराहा में नेशनल हाईवे पर रविवार-सोमवार की रात 12 बजे से जाम लग गया और सुबह 9 बजे तक वाहन फंसे रहे। इसके बाद सोमवार को दिन में तीन बजे से से शाम को सात बजे तक फिर से वाहनों का जाम लग गया।
इससे मुंगावली और विदिशा की तरफ से आने वाले वाहनों ने श्रद्धालुओं को बंगलाचौराहा तक छोड़ा, तो वहीं अशोकनगर की तरफ से जाने वाले वाहनों ने कानीखेड़ी गांव तक श्रद्धालुओं को छोड़ा, इससे श्रद्धालुओं को कई किमी पैदल चलकर करीला पहुंचना पड़ा। वहीं आधी रात के बाद श्रद्धालुओं के लौटने का दौर शुरू जाने से सड़कों पर जगह-जगह जाम की स्थिति बनती रही और वाहन घंटों तक जाम में फंसे रहे।
छोटे वाहन भी ओवरलोड होकर चले-
मेले के लिए जहां यात्री बसें तो सवारियों को छतों पर दिनभर ले जाती दिखीं, तो वहीं छोटे वाहन भी ओवरलोड़ होकर चले। साथ ही ज्यादा कमाई के चक्कर में वाहन चालक ओवरलोड वाहनों को तेज रफ्तार में सड़कों पर दौड़ाते दिखे, इससे दुर्घटनाओं की आशंका बनी रही। वहीं उप्र सहित अन्य प्रदेशों से आने वाले वाहनों के साथ असामाजिक तत्वों द्वारा परमिट चैक करने के नाम पर अवैध वसूली भी की गई।
भोजन और पेयजल के दर्जनों जगह हुए इंतजाम-
मां जानकी के दरबार में आने वाले लाखों लोगों के स्वागत के लिए क्षेत्रवासी भी सड़कों पर तैयारी के साथ खड़े हुए नजर आए। इसके लिए नेशनल हाईवे पर मुंगावली सहित ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह ग्रामीणों ने खाना, नाश्ता और ठंडे पेयजल के इंतजाम किए। जिन्होंने वाहनों को रोककर श्रद्धालुओं को निशुल्क भोजन और पेयजल उपलब्ध कराया, ताकि श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना न करना पड़े। वहीं कई जगहों पर लस्सी, सरबत का भी वितरण किया गया।
करीला मेले पर एक नजर-
– 25 लाख के करीब श्रद्धालु पहुंचे देर रात तक
– 1200 पुलिस जवाने सुरक्षा में रहे तैनात
– 20 हजार से अधिक वाहनों से पहुंचे श्रद्धालु
– 4 हजार नृत्यांगनाएं पहुंची जिनमें दो हजार राजस्थान से आईं
– 3 हजार के करीब दुकानदार पहुंचे करीला
– 350 टैंकरों से हुई पीने के पानी की सप्लाई
– 42 सीसीटीवी कैमरों से रखी गई मेले पर नजर
– 2 हजार कर्मचारियों की लगाई गई ड्यूटी
मेले की झलकियां-
– परंपरा अनुसार करीला के पास स्थित लैतपुर गांव के ग्रामीणों ने मां जानकी को पहला झंडा चढ़ाया, इसके बाद करीला में राई नृत्यों की शुरुआत हुई।
– मेले के सफल संचालन की मन्नत के साथ करीला ट्रस्ट ने भी मंदिर परिसर में सुबह राई नृत्य कराया, प्रशासन ने मां जानकी की पूजा कराई।
– मुंगावली, विदिशा व सिरोंज की तरफ से आए वाहनों ने श्रद्धालुओं को बमौरीशाला और अशोकनगर की तरफ से आए वाहनों ने कानीखेड़ी पर छोड़ा।
– मिट्टी की सड़कों पर धूल की समस्या परेशानी बनी, साथ मेले तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को तीन से चार किमी पैदल चलना पड़ा।
– बच्चों और लोगों के गुम होने की सूचना का खोया-पाया केंद्रों पर एनाउंसमेंट चलता रहा, मंदिर के प्रवेश द्वार से श्रद्धालुओं को एनाउंसमेंट से निर्देश दिए गए।
– प्रतिबंध के बाद भी मेला क्षेत्र के आसपास की शराब दुकानों पर शराब की जमकर बिक्री हुई और सड़कों पर भी शराब बिकती रही।