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एसपी ने मेले में 300 पलंगों की व्यवस्था के दिए निर्देश, तहसीलदार ने कहा नहीं कर पाएंगे व्यवस्था

locationअशोकनगरPublished: Mar 10, 2019 04:03:42 pm

Submitted by:

Arvind jain

करीला मेला: तीन दिवसीय रंगपंचमी मेले को सिर्फ 15 दिन शेष, 15 से 20 लाख श्रद्धालु आएंगे, दो साल पहले तीन हजार अस्थाई शौचालय बनाए गए थे, इस बार मेले के लिए बनाए जाएंगे 200 शौचालय।

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एसपी ने मेले में 300 पलंगों की व्यवस्था के दिए निर्देश, तहसीलदार ने कहा नहीं कर पाएंगे व्यवस्था

अशोकनगर. करीला मेले में ड्यूटी देने वाले पुलिस जवानों के लिए एसपी ने 300 पलंगों की व्यवस्था करने के निर्देश ट्रस्ट को दिए थे। ताकि अपनी तैनाती स्थल पर ड्यूटी खत्म होते ही पुलिस जवान आराम भी कर सकें। लेकिन तहसीलदार ने पलंगों की व्यवस्था करने से इंकार कर दिया है। इससे करीला में अब पलंगों का विवाद गहराता नजर आ रहा है।


तीन दिवसीय रंगपंचमी मेले में एक हजार से अधिक पुलिस जवानों की ड्यूटी लगती है। इसके लिए पुलिस की छह चौकियां और मेला क्षेत्र के आसपास 30 बेरियर बनाए जाना है। साथ ही मेले में अन्य जगह पर भी पुलिस जवान तैनात किया जाते हैं। इससे पुलिस जवानों को अपनी ड्यूटी का समय खत्म होने के बाद ड्यूटी वाली जगह पर भी आराम करना पड़ता है। इसके लिए एसपी पंकज कुमावत ने करीला ट्रस्ट को पत्र लिखकर पुलिस जवानों के लिए 300 पलंग और बिस्तरों की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे। तहसीलदार यूसी मेहरा ने पैसों की कमी बताते हुए पलंगों की व्यवस्था करने से इनकार कर दिया है।

तहसीलदार का कहना है कि बहुत ज्यादा राशि खर्च होगी और दानराशि से इतने पलंगों की व्यवस्था नहीं की जा सकती है। इससे अब अधिकारियों के बीच करीला मेले के लिए पलंग-बिस्तरों की व्यवस्था का विवाद गहराने लगा है। हालांकि ट्रस्ट का कहना है कि मेले में हर साल पलंगो व बिस्तरों की व्यवस्था की जाती थी, लेकिन इस बार यह व्यवस्था की जाना है या नहीं, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।

किराया बचाने ट्रस्ट खुद चाह रहा पलंग बनवाना-
मेले में हर बार ट्रस्ट को पुलिस जवानों व अधिकारियों के लिए किराए से पलंगों व बिस्तरों की व्यवस्था करना पड़ती है। एक पलंग 350 रुपए में चार दिन के लिए किराए पर मिलता है और 300 पलंगों का किराया एक लाख पांच हजार रुपए बनता। वहीं ग्वालियर से यह पलंग लाए जाते, इससे भाड़ा भी ट्रस्ट को ही देना पड़ता है।

ट्रस्ट अध्यक्ष महेंद्रसिंह यादव का कहना है कि हर बार पलंग किराए पर लेने से हर बार पैसा खर्च करना पड़ता है। इससे ट्रस्ट की प्लानिंग थी कि ट्रस्ट द्वारा ही लकड़ी के मजबूत पलंग बनवा लिए जाएं, ताकि हर साल किराया न देना पड़े। ट्रस्ट अध्यक्ष का कहना है कि इसके लिए एसडीएम ने भी सहमति दे दी थी, लेकिन अब तहसीलदार द्वारा इंकार किए जाने से अब निर्माण नहीं कराया जा रहा है।

दो साल पहले बनवाए तीन हजार अब 200 बनेंगे अस्थाई शौचालय-
स्वच्छता के लिए करीला मेले में दो साल पहले तीन हजार अस्थाई शौचालयों का निर्माण कराया गया था, ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना न करना पड़े। पिछले वर्ष मेले में 500 अस्थाई शौचालय बनाए गए थे, लेकिन इस बार मेले में सिर्फ 200 अस्थाई शौचालय ही बनवाए जाएंगे। हालांकि आसपास के क्षेत्रवासियों ने इस कम संख्या को सही बताया है और लोगों का कहना है कि करीला में भीड़ को देखते हुए अस्थाई की जगह स्थाई निर्माण पर विशेष ध्यान ज्यादा दिया जाना चाहिए।

पर्यटन ने मंदिर को दिया आकर्षक लुक-
मप्र पर्यटन विकास निगम द्वारा मां जानकी मंदिर करीला को आकर्षक बनाने के लिए काम किया जा रहा है। इसके लिए 3.29 करोड़ रुपए की राशि से निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। इसके लिए मंदिर परिसर में लगे टीनशेड को हटाकर प्रोफाइल सीट का शेड बनाया गया है, इससे मंदिर का लुक आकर्षक हो गया है। साथ ही मंदिर प्रवेश के लिए बाहर लगी रैलिंग के टीनशेड़ को भी बदलकर प्रोफाईल सीट लगाई गई है। ताकि मंदिर आकर्षक हो सके।

लेकिन मेले तक पूर्ण नहीं हो पाएंगे यह निर्माण-
– श्रद्धालुओं को रुकने की व्यवस्था के लिए पर्यटन विकास निगम द्वारा 65 लाख रुपए की लागत से शेल्टर होम का निर्माण कराया जा रहा है। 150 फिट लंबे और 200 फिट चौड़ा यह शेल्टर होम मेले तक तैयार नहीं हो पाएगा।
– पर्यटन विकास निगम ने 85 लाख रुपए की लागत से मंदिर के टीनेशेड को बदलकर प्रोफाइल शीट से शेड़ तैयार किया है, हालांकि यह निर्माण मंदिर से पहले पूर्ण हो जाएगा। इससे शेड़ में उजाला तो रहेगा, साथ ही छाया भी रहेगी।
– 10 स्थाई शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें पांच पुरुष शौचालय और पांच महिला शौचालय हैं, लेकिन रंगपंचमी मेले तक यह निर्माण पूर्ण नहीं हो पाएंगे।

करीला में सभी व्यवस्थाएं दानराशि से ही होती हैं। 10-20 पलंगों की व्यवस्था तो की जा सकती थी, लेकिन 300 पलंगों की व्यवस्था नहीं कर पाएंगे। पहले भी कभी ट्रस्ट से पलंगों की व्यवस्था नहीं की गई है।
यूसी मेहरा, तहसीलदार मुंगावली

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