ईसागढ़ ब्लाक के नया गांव फ ुटेरा निवासी हरज्ञान गुर्जर ने अब से लगभग 40 साल पहले सन्यास का रास्ता चुन साधु बन गए थे। गृहस्थ जीवन के भतीजे मुनीराम ने बताया कि उनके चाचा हरज्ञान धार्मिक प्रवृति के थे और वह नियमित सिद्धखो आश्रम जाकर संतों की सेवा करते थे। लगभग चालीस साल पहले सिद्ध खो आश्रम के महंत ब्रहम्लीन हो गए और आश्रम की जिम्मेदारी उनके चाचा हरज्ञान पर आ गईं। बस तभी से उनके चाचा आश्रम में रहकर पूजा अर्चना करने लगे। हालांकि, आश्रम में आय का कोई स्रोत नहीं था। इसलिए श्रद्धालुओं के चड़ावे से ही आश्रम का संचालन होता था।
सफ ाई के लिए पहुंचा नाती तो मृत मिले महाराज
75 वर्षीय संत हरज्ञान शारीरिक दुर्वलता के चलते आश्रम की साफ सफ ाई करने में असमर्थ थे। यही कारण है कि उनका नाती जालम सिंह हर दिन मंदिर की सफ ाई करने जाता था। बताते हैं कि मंगलवार की सुबह लगभग 7 बजे जालम सिंह मंदिर पहुंचा और सफ ाई की। लेकिन संत नहीं दिखे तो उसने दालान में जाकर देखा। जहां संत हरज्ञान मृत पड़े हुए थे। संत के सिर में चोट का निशान भी साफ दिख रहा था। घटना की सूचना उसने परिजनों को दी। सूचना मिलते ही टीआई अनिल सिंह भदौरिया, नीतू अहिरवार, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी आरसी अहिरवार मौके पर पहुंचे और शव को पीएम के लिए ईसागढ़ भिजवाया।
वर्जन
सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई थी। प्रथम दृष्टया हत्या का मामला प्रतीत हो रहा है। मर्ग कायम कर लिया गया है। जांच के बाद सभी पहलू सामने आ जाएंगे।
अनिल सिंह भदौरिया टीआई कदवाया
संत की हत्या किसी धारधार हथियार से की गई है। मृतक के सिर में गहरी चोट के निशान हैं। मौके पर देखकर लगता है कि संत की हत्या सोते समय की गई है। पीएम रिपोर्ट आने के बाद मामला पूरी तरह से साफ हो जाएगा।
आरसी अहिरवार एसएफ एल अधिकारी गुना