जहां थाना प्रभारी महेश शर्मा ने किसानों से कहा कोई हाथ लगाने नहीं आता है, इसलिए यहां से निकल जाओ। साथ ही यह भी कहा कि यह लोग तो चले जाएंगे बाद में तुम फंसोगे। इससे प्रांत सहमंत्री ने पुलिस से कहा कि अब भले ही गोली मार दो, लेकिन यहां से हटेंगे नहीं। यह कहते हुए वह किसान संघ के अन्य पदाधिकारियों के साथ सड़क पर बैठ गए। पुलिस उन्हें जबरन उठाने लगी तो मौके पर पहुंचे तहसीलदार सूर्यकांत त्रिपाठी ने रोका। बाद में तहसीलदार के समझाने पर किसान सड़क से हटे।
किसान बोले-फसलें बिक नहीं रही अब क्या करें
किसानों का कहना है कि जहां चना-मसूर का भुगतान अब तक नहीं मिला है और सूखा राहत राशि का भी कोई पता नहीं है। ऐसे में घरों पर पैसों की जरूरत के चलते वह बीज के लिए रखे चना-मसूर, गेहूं को बेचने आए थे। उनका अनाज नहीं बिक सका और पुलिस ने उनसे बदसलूकी की। किसानों का कहना है कि क्या जरूरत के समय अब तक वह मंडी में अनाज बेचने भी न आएं। साथ ही उनका कहना है कि क्या पुलिस किसानों को इस तरह प्रताडि़त करेगी।
तहसीलदार ने कलेक्टर से चर्चा की बात कही तब हटे
सड़क पर बैठे किसान संघ के पदाधिकारियों से तहसीलदार ने कलेक्टर से चर्चा कर मामला निपटाने की बात कही, तब किसान संघ के पदाधिकारी वहां से हटे और किसानों को लेकर कलेक्ट्रेट जाने लगे। भीड़ की आशंका को देख प्रशासन ने जबरन उन्हें बाइक पर बिठाकर कलेक्ट्रेट पहुंचाया। लेकिन किसानों से चर्चा करने के लिए जब कलेक्ट्रेट में अधिकारी नहीं मिले तो किसान संघ थाना प्रभारी की शिकायत करने एसपी ऑफिस पहुंचा, लेकिन एसपी नहीं मिले तो एएसपी से शिकायत की और थाना प्रभारी पर कार्रवाई की मांग की। साथ ही एसपी के नाम ज्ञापन देकर अल्टीमेटम भी दिया है कि यदि थाना प्रभारी के खिलाफ मंगलवार सुबह 11 बजे तक कार्रवाई नहीं की तो किसान संघ आंदोलन करेगा।
किसान संघ का आरोप पुलिस ने किसानों पर किया लाठीचार्ज
किसान संघ के प्रांत सहमंत्री जगरामसिंह का कहना है कि किसान जरूरत के समय पैसों की जरूरत के लिए फसलें बेचने आए थे, ताला लगा देख वह लाइन से ट्रैक्टर-ट्रालियों को लगाकर ताला खुलने के इंतजार में बैठे थे और पुलिस ने वहां पहुंचकर किसानों पर लाठीचार्ज किया। प्रांत सहमंत्री का यह भी कहना है कि किसानों ने जानकारी दी तो समझाने के लिए जिलामंत्री रामकिशन रघुवंशी पहुंचे, जहां पर पुलिस ने जिलामंत्री से भी झूमाझटकी की और वह खुद पहुंचे तो उनके साथ भी अभद्र व्यवहार किया। उनका कहना है कि पुलिस ने किसानों को गालियां भी दीं और धमकाकर अंग्रेजो के शासन की तरह काम किया।