किसान आंदोलन के लिए गांव-गांव घूमकर समर्थन जुटाने का प्रयास, प्रशासन भी अलर्ट
-छुट्टियों पर लगी रोक, थाना नहीं छोड़ सकेंगे थाना प्रभारी
-1 से 10 जून तक होगा आंदोलन, शहर में नहीं आएगी सब्जी व दूध

अशोकनगर। किसान आंदोलन को सफल बनाने के लिए जहां किसान संगठन गांव-गांव घूमकर समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं पुलिस व प्रशासन पर भी पूरी तरह से अलर्ट है। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं और छुट्टियों पर रोक लगा दी गई है। थाना प्रभारियों को भी थाना न छोडऩे की हिदायत दी गई है।
उल्लेखनीय है कि किसानों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। एक से दस जून तक शहर वासियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। किसान ग्राम बंद आंदोलन के तहत किसान अपनी फसल व सब्जी मंडियों में नहीं बेचेंगे। साथ ही गांव से आने वाला दूध भी खुले बाजारों में नहीं बेचा जाएगा।
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ की प्रदेशाध्यक्ष रचना रघुवंशी ने बताया कि किसी भी गांव से किसान दस दिन तक शहर में नहीं आएगा। ताकि शहर में रहने वालों को किसानों की अहमियत का अंदाजा लग सके। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ सहित आंदोलन का समर्थन करने वाले संगठन गांव-गांव जाकर किसानों के साथ बैठकें कर रहे हैं।
नहीं सुन रही सरकार
प्रदेशाध्यक्ष ने बताया कि लंबे समय से किसान लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देने की मांग रहे हैं। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को आधार मानकर फसल का लाभकारी मूल्य सरकार तय करे। लेकिन सरकारें इस पर ध्यान नहीं दे रही हैं। किसान दिनों-दिन कर्ज में डूबता जा रहा है और आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है।
130 संगठन शामिल
आंदोलन कितना वृहद होगा, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें किसानों के 130 संगठन एकजुट होकर भाग लेंगे। किसानों की ओर से सरकार के सामने 28 मांगे रखी गई हैं। जिनके समय सीमा में पूरा न होने पर अनिश्चित कालीन आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है। भारतीय किसान संघ इस आंदोलन से दूर है। संघ के हरमीतसिंह संधु ने बताया कि उनका संगठन आंदोलन में शामिल नहीं है।
संपर्क व मीटिंगों का दौर जारी
आंदोलन को लेकर राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ द्वारा संपर्क व मीटिंगों का दौर जारी है। मंगलवार को जिला मुख्यालय पर मीटिंग का आयोजन किया गया। जिसमें किसानों को आंदोलन व उसके उद्देश्य की जानकारी दी गई। बैठक में किसानों ने काली पट्टी बांधकर विरोध भी जताया। साथ ही ब्लॉक स्तरीय टीमें भी गांव-गांव में संपर्क कर रही है। किसान अपने आंदोलन को सफल बनाने के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा ले रहे हैं।
वहीं प्रशासन भी अपने स्तर पर तैयारियों में जुटा है। जिला व पुलिस प्रशासन की मीटिंग भी हो चुकी है। जिसमें आंदोलन के दौरान किसी भी परिस्थिति से निबटने के लिए विचार-विमर्श किया गया और आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए। छुट्टियों पर रोक लगा दी गई है और थाना प्रभारियों को थाना न छोडऩे के निर्देश दिए गए हैं।
ये हैं मुख्य मांगे
-पूर्ण रुप से ऋण मुक्ति व 55 से अधिक आयु के किसानों को पेंशन।
-स्वामीनाथन आयोग की सभी सिफारिशें लागू की जाएं
-किसान की मासिक आय कम से कम 18 हजार रुपए प्रति माह हो।
-दूध व सब्जियों का न्यूनतम मूल्य तय हो।
-किसानों की आय की गारंटी का कानून बने
-किसानों को २४ घंटे बिजली मिले और स्थाई कनेक्शन के लिए दूरी की बाध्यता समाप्त की जाए।
सभी थाना प्रभारियों व अन्य अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। रणनीतिक रूप से हम पूरी तरह तैयार हैं। कलेक्टर के साथ ज्वाइंट मीटिंग हुई है। जिसमें सभी को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।
तिलकसिंह, एसपी अशोकनगर।
जिले में कोई विपरीत माहौल नहीं है, फिर भी अपनी तरफ से हमने तैयारी की है। पुलिस के साथ बैठक कर ली है। किसान भी सहयोग कर रहे हैं। किसानों को कोई समस्या नहीं आने दी जाएगी।
डा. मंजू शर्मा, कलेक्टर अशोकनगर।
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