कलेक्ट्रेट के बाहर बाउंड्री किनारे साधु-संतों का धरना कुछ अलग नजर आया। जिसमें धरने के दौरान कुछ साधु माला जपते रहे तो कोई वहीं पेड़ के नीचे बैठकर कॉपी में राम नाम का लेखन करते दिखे। इसके अलावा सूरदास संत वहीं पर बैठकर भगवान के नाम का जप करते नजर आए। वहीं सोमवार से इस धरने में साधु-संतों की संख्या और बढऩे की बात कही जा रही है। हालांकि साधुओं के इस धरने से प्रशासन की समस्याएं बढ़ती दिख रही हैं।
प्रशासन और ट्रस्ट पर फर्जीवाड़े व दानराशि में भृष्टाचार का आरोप लगाते हुए साधु-संत नए ट्रस्ट की मांग पर अड़े हुए हैं। उनका आरोप है कि दबंग लोगों ने करीला पर कब्जा जमा लिया है और दानराशि का भी कोई हिसाब नहीं दिया जा रहा है। साथ ही वह केशवदास की अध्यक्षता में नए ट्रस्ट की मांग पर अड़े हुए हैं और उनका कहना है कि संत परंपरा के इस आश्रम के केशवदास ही महंत हैं।
करीला ट्रस्ट के अध्यक्ष महेंद्रसिंह यादव का कहना है कि ट्रस्ट का गठन प्रशासन ने किया है और इसके सचिव मुंगावली तहसीलदार हैं। करीला का पूरा हिसाब-किताब और खर्च की जानकारी पूरी तहसीलदार के पास रहती है। हर महीने दानराशि बैंक खाते में जमा होती है और खाते से तहसीलदार की अनुमति के बिना एक पैसा भी नहीं निकलता। इसलिए गड़बड़ी के आरोपी पूरी तरह से झूठे हैं। वहीं ट्रस्ट के गठन के बाद करीला क्षेत्र का जो विकास हुआ है और शासन इसे और विकसित बना रही है। केशवदासजी ने ट्रस्ट के गठन के बाद कुछ समय बाद ही मुंगावली न्यायालय में प्रशासन के खिलाफ अपील लगाई थी। जिसमें प्रशासन की जीत हुई थी। अब ट्रस्ट के गठन का यह मामला हाईकोर्ट ग्वालियर में लंबित है।