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39 लाख 37 हजार से भी ज्यादा आहूतियों के साथ हुआ ब्रहम महायज्ञ का समापन

locationअशोकनगरPublished: Jun 04, 2019 10:15:58 am

Submitted by:

Arvind jain

अंतिम दिन चार लाख से भी ज्यादा लोगों ने ग्रहण की प्रसादी, वापसी के लिए ओवर लोड होकर चले वाहन

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39 लाख 37 हजार से भी ज्यादा आहूतियों के साथ हुआ ब्रहम महायज्ञ का समापन

अशोकनगर. नईसराय-डुंगासरा के बीच पठार क्षेत्र पर बीती 23 मई से यज्ञ सम्राट कनक बिहारी महाराज के सानिध्य में चल रहे 1 हजार 212 कुंडीय ब्रहम महायज्ञ का पूर्णाहूति के साथ समापन हो गया। पूर्णाहूति के दिन सामान्य दिनों की अपेक्षा हवन कुंड में 1 लाख से अधिक आहूतियां दी गईं। दरअसल, पूर्णाहूति के लिए हवन कुंड पर बैठे यजमानों के अतिरिक्त 500 राजा रानियों ने समिति द्वारा तय निर्धारित शुल्क जमाकर हवन कुंड पर अपना स्थान सुरक्षित कराया था। यही कारण रहा कि अंतिम दिन राजा रानियों की सं या बड़कर 1 हजार 875 पहुंच गई।


विश्व कल्याण की भावना को लेकर यज्ञों में खासी रूचि रखने वाले यज्ञ सम्राट कनक बिहारी महाराज ने नईसराय-डुंगासरा के बीच पठार क्षेत्र में 1 हजार 212 कुंडीय ब्रहम महायज्ञ कराए जाने का संकल्प अब से लगभग एक साल पहले लिया था। इसके लिए महाराज ने कार्यक्रम स्थल पर खुले आसमान के नीचे चतुर्मास किया और चतुर्मास के समापन के बाद महायज्ञ का झंडा स्थापित किया। झंडा स्थापित करने के बाद महायज्ञ को लेकर जगह-जगह इसका प्रचार प्रसार किया और आम जन तक इसके व्यापक स्वरूप को पहुंचाया। यही कारण् रहा कि विशाल महायज्ञ से प्रदेश ही नहीं प्रदेश के बाहर के लोग जुड़ते चले गए।

 

बताते हैं कि जब हवन वेदियों की नीलामी के न्यौछावर का समय आया तो रघुवंशी समाज के लोगों ने बढ़़ चढ़़कर हिस्सा लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि 1 हजार 212 हवन कुंडों पर 1 हजार 375 जोड़ों के पंजीयन हो गए। इसके बाद भी रघुवंशी समाज के लोगों ने हवन प्रक्रिया में शामिल होने की इच्छा जताई थी। इस पर यज्ञ सम्राट कनक बिहारी महाराज और आयोजन समिति द्वारा विचार विमर्श कर एक निर्धारित शुल्क के बाद यजमानों को सिर्फ पूर्णाहूति के दिन हवन प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति मिली।

रविवार चार बजे से पहुंचने लगे थे वाहन
सोमवार को महायज्ञ की पूर्णाहूति थी। इस कारण महायज्ञ में शामिल होने के लिए श्रद्धालु अपने वाहनों से सोमवार से ही पहुंचना शुरू हो गए थे। यही कारण रहा कि यज्ञ स्थल तक पहुंचने वाली यातायात व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। नईसराय कस्बे की विभिन्न गलियों में वाहन फं स गए और स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके बाद कड़ी मशक्कत के बाद रात 11 बजे यातायात व्यवस्था बहाल हो सकी।

बताते हैं कि कार्यक्रम स्थल पर बनाई गई सभी पार्किंग वाहनों से भर गई थीं। इसलिए श्रद्धालुओं को अपने वाहन खेतों में पार्क करने पड़े वहीं यज्ञशाला के परिक्रमा मार्ग में भी श्रद्धालु बुरी तरह से फं से रहे। आयोजन समिति की मानें तो महायज्ञ के शुरू होने स ेअब तक रविवार-सोमवार की दरमियानी रात ही ऐसी रात रही जब परिक्रमा मार्ग में श्रद्धालुओं की भीड़ घटने के स्थान पर लगातार बड़ती रही।

3 साल के रामजीदास, 95 साल के मोहन गिरि भी हुए शामिल
पठार क्षेत्र में चल 1 हजार 212 कुंडीय ब्रहम महायज्ञ में हर दिन हजारों संतों का आना जाना लगा रहा। एक अनुमान के मुताबिक महायज्ञ में 50 हजार से भी ज्यादा संत पहुंचे। पूर्णाहूति के दिन छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव से तीन साल के संत रामजीदास जहां जय श्री राम के जयकारे लगाते हुए यज्ञशाला को गुंजायमान कर रहे थे। वहीं राजस्थान से आए 95 वर्षीय मोहन गिरि भी श्रधालुओं को आशीर्वाद दे रहे थे। पूर्णाहूति के दिन महायज्ञ के लिए बनाई गई यज्ञशाल से लगभग चार हजार श्रधालुओं की विदाई महायज्ञ के मु य आयोजक यज्ञ सम्राट कनक बिहारी महाराज और पटेल बाबा द्वारा की गई।


दोपहर बाद शुरू हुई वापसी
अंतिम दिन महायज्ञ में हवन का कार्यक्रम सुबह 7 बजे शुरू हो गया था। 1 लाख 60 हजार वर्ग फि ट में बनाई गई 1 हजार 212 हवन वेदियों पर बैठे 1 हजार 875 राजाओं ने 2100 सौ आहूतियां दीं। जबकि उनके साथ हवन वेदियों पर बैठी रानियों ने 2100 बार ही जल पिलाया। पूर्णाहूति के बाद यज्ञशाला में यज्ञ सम्राट कनक बिहारी महाराज पहुंचे और उन्होंने सभी राजा रानियों और आयोजन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहभागिता निभाने वाले कार्यकर्ताओं को आशीर्वाद दिया।


पत्रिका की खबरों को रघुवंश गौरव में मिला प्रमुख स्थान
यज्ञ के समापन के अवसर पर आयोजन समिति द्वारा रघुवंश गौरव पत्रिका का विमोचन भी किया गया। पूरी तरह से सामाजिक इस पत्रिका में यज्ञ सम्राट कनक बिहारी महाराज की जीवनी और उनके द्वारा सामाजिक और धार्मिक क्षेत्रों में कराए गए कार्यों को प्रकाशित किया गया है।

साथ ही यज्ञ सम्राट द्वारा विभिन्न स्थानों पर कराए गए यज्ञों के बारे में भी विस्तार से जानकारी है। सामाजिक क्षेत्र की इस पत्रिका में पत्रिका अखबार की खबरों को भी प्रमुखता से लिया गया है। आयोजन समिति ने बताया कि पत्रिका अखबार ने यज्ञ सम्राट कनक बिहारी महाराज के चतुर्मास पर बैठने से लेकर महायज्ञ की पूर्णाहूति तक महायज्ञ से संबंधित विभिन्न गतिविधियों को आमजन तक समाचारों के माध्यम से पहुंचाने में प्रमुख भूमिका निभाई है।

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