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500 से ज्यादा हैण्डपंप सूखे पड़े और 50 फीसदी पेयजल योजनाएं ठप, 100 गांव के लोग दूर से ला रहे पानी

locationअशोकनगरPublished: Mar 11, 2019 03:48:43 pm

Submitted by:

Arvind jain

पेयजल संकट: लगातार घट रहा जलस्तर बना परेशानी, ज्यादातर हैण्डपंपों में लाइन से नीचे पहुंचा पानी। डेढ़ लाख लोगों को पानी का और प्रशासन को राशि का इंतजार, दो से तीन किमी दूर से पानी ढ़ोने मजबूर ग्रामीण। डेढ़ महीने में दो बार पेयजल की समीक्षा और व्यवस्था सुधारने के निर्देश भी दिए, लेकिन कागजों तक सीमित रह गईं तैयारियां।

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500 से ज्यादा हैण्डपंप सूखे पड़े और 50 फीसदी पेयजल योजनाएं ठप, 100 गांव के लोग दूर से ला रहे पानी

अशोकनगर. लगातार घट रहे जलस्तर से जिले में पानी की समस्या बढ़ती जा रही है। हालत यह है कि महीनों से 200 से ज्यादा हैण्डपंप तो सूखे पड़े हुए हैं और करीब 200 हैण्डपंपों में लाइन से नीचे पानी पहुंच गया है। इसके अलावा 100 हैण्डपंप सामान की कमी से खराब पड़े हुए हैं। इससे जिले के 100 से ज्यादा गांवों में पेयजल के हालात गंभीर हो चुके हैं और लोगों को दो से तीन किमी दूर खेतों के कुओं से पानी ढ़ोकर घरों में पेयजल की व्यवस्था करना पड़ रही है। खास बात यह है कि डेढ़ महीने में दो बार पेयजल की समीक्षा हो जाने के बाद भी प्रयास कागजों तक ही सीमित होकर रह गए हैं।


जिले में साढ़े छह हजार से अधिक हैण्डपंप हैं और 135 पेयजल योजनाएं हैं। लेकिन 50 फीसदी पेयजल योजनाएं विद्युत पंप खराब हो जाने, लाइन गिर जाने की वजह से बंद पड़ी हैं और कई पेयजल योजनाओं की टंकियां ही क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इससे ज्यादातर समूह पेयजल योजनाओं की टंकियों में पानी एकत्रित होने की व्यवस्था ही नहीं है। इससे ज्यादातर गांवों में लोग निजी हैण्डपंपों या ट्यूबवेलों से व्यवस्था कर रहे हैं, जिले जिले के 100 से अधिक गांव में पीने के पानी के हालात गंभीर हो चुके हैं।

ग्रामीणों ने खेतों के कुओं पर इंजन या विद्युत पंप लगाकर या ट्यूबवेल से पानी भरने की व्यवस्था शुरू की है, इससे ग्रामीणों को दो से तीन किमी दूर से पानी ढ़ोना पड़ रहा है। लेकिन न तो इन खराब पड़े हैण्डपंपों को सुधरवाने पर कोई ध्यान दिया जा रहा है और न हीं गंभीर स्थिति जलस्तर घटने वाले हैण्डपंपों में पर्याप्त पाइप बढ़ाकर पानी निकासी पर ध्यान है। वहंी पेयजल योजनाओं को चालू कराने के लिए भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इससे ग्रामीण पानी के लिए भटक रहे हैं।

विभाग को पैसों का और ग्रामीणों को पानी का इंतजार-
पिछले वर्ष करीब 200 सिंगल फेस विद्युत पंप गांवों के हैण्डपंपों में लगाए जाना पीएचई विभाग बताता है, लेकिन इस बार वह सिंगल फेस पंप किसी गांव में नजर नहीं आ रहे हैं। दो बार पेयजल की समीक्षा हुई तो कलेक्टर ने पीएचई विभाग को सख्ती से निर्देश दिए। लेकिन अब विभाग को हैण्डपंप लगाने और सिंगल फेस मोटर खरीदने के लिए राशि स्वीकृति का इंतजार है और ग्रामीणों को पेयजल व्यवस्था होने का इंतजार है।

ग्र्राउंड रिपोर्ट: इन तीन गांव से जानें जिले में पेयजल की हकीकत-
1. गांव में 30 हैण्डपंप, फिर भी दो किमी दूर से लाते हैं पानी-
मुंगावली विधानसभा का 1200 की आबादी वाला सागर गांव। गांव में हैण्डपंप तो 30 लगे, लेकिन इनमें से 18 हैण्डपंपों में तो सामान ही नहीं बचा और 10 हैण्डपंप में पानी नहीं है। सिर्फ दो हैण्डपंप चालू हैं और उनमें भी कुछ ही मिनिट पानी निकलता है। गांव के राजेंद्रसिंह ने खेत के कुए पर इंजन रखकर लंबी पाइप लाइन से पानी लाते हैं, इससे कुछ ग्रामीणों को पानी मिल जाता है।

लेकिन गांव के ज्यादातर लोग दो से तीन किमी दूर खेतों के कुओं से ट्रैक्टर, मोटरसाईकिल और साईकिलों सें पानी लाते हैं। जिनके पास वाहन नहीं है, उन परिवारों की महिलाओं को इतनी लंबी दूरी से खुद ही पैदल पानी ढ़ोना पड़ रहा है। सालभर हर मौसम में गांव में पानी की व्यवस्था वर्षों से इसी तरह से होती है।

2. डेढ़ किमी दूर खेतों से पानी ढ़ो रही महिलाएं व बच्चे-
अशोकनगर विधानसभा का 1400 की आबादी वाला सहोदरी गांव। जहां 11 हैण्डपंपों में से 9 हैण्डपंप करीब एक महीने से बंद पड़े हैं और दो हैण्डपंपों में बहुत मात्र तीन-चार बाल्टी पानी निकलने के बाद हैण्डपंप बंद हो जाते हैं और फिर से पानी एकत्रित होने का इंतजार करना पड़ता है। गांव में तीन ट्यूबवेल भी खनन हुए, लेकिन उनमें भी पानी नहीं निकला। इससे अब ग्रामीणों को खेतों पर लगे ट्यूबवेलों और खेतों के कुओं से पानी भरकर लाना पड़ता है।

घरों में पानी की व्यवस्था करने के लिए महिलाएं और खाली बर्तन लेकर एक से डेढ़ किमी दूर खेतों से पानी भरकर लाते हैं। गर्मी के मौसम में हर बार पेयजल की समस्या गंभीर हो जाती है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कोई गंभीरता नहीं दिखा रहे हंै।

3. 100 रुपए महीने में खरीदकर दो किमी दूर से लाते हैं पानी-
ईसागढ़ ब्लॉक के दयालपुर गांव की आदिवासी बस्तियों में छह हैण्डपंप हैं। लेकिन सभी छह हैण्डपंप खराब पड़े हुए हैं। आदिवासी महिलाओं को दो किमी दूर खेत पर लगे एक ट्यूबवेल से 100 रुपए महीने में पानी खरीदना पड़ता है। हर महीने 100 रुपए चुकाने के बाद भी इन महिलाओं को खेत के उस ट्यूबवेल से दो किमी पैदल चलकर पानी भरकर लाना पड़ता है। करीब 70 परिवारों की दोनों आदिवासी बस्तियों की महिलाओं ने कई बार अधिकारियों से शिकायत कर समस्या बताई, लेकिन उन्हें पेयजल की व्यवस्था करने अधिकारी कोई गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।

पेयजल के लिए यहां भी नहीं कोई ध्यान-
– शहर की शंकरपुर सहित कई कॉलोनियों में रोजाना दो घंटे पहले पानी के लिए बर्तनों की लाइन लग जाती है, जहां पानी भरने के बीच लोगों में विवाद भी होने लगे हैं।
– जिले की 334 ग्राम पंचायतों में 450 से ज्यादा पानी के टैंकर हैं, लेकिन किसी भी गांव में टैंकरों से पानी की व्यवस्था नहीं की जा रही है।
– सांसद, विधायकों द्वारा पेयजल व्यवस्था के नाम पर ग्राम पंचायतों को टैंकर तो दे दिए गए, लेकिन टैंकरों का इस्तेमाल हो रहा है या नहीं, इस पर ध्यान नहीं है।
– गांवों में टूटे पड़े हैण्डपंप न सुधारे जाने से ग्रामीण कहीं पर हैण्डपंप की चैन में लाठी तो कहीं पर छड़ लगाकर काम पानी निकालने का प्रयास कर रहे हैं।

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