शंकर कॉलोनी निवासी डेढ़ वर्षीय कान्हा पुत्र सुनील ओझा को पेट में गंभीर समस्या होने से रात को 11 बजे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उसे निमोनिया से पीडि़त बताया, लेकिन रात को करीब डेढ़ बजे अचानक बच्चे की तबीयत बिगढ़ गई। परिजनों का आरोप है कि इससे वह डॉक्टर को बुलाने के लिए पहुंचे तो डॉक्टर अंदर सो रहे थे, लेकिन वह बाहर नहीं आए और परिजनों को भी अंदर नहीं जाने दिया।
चार बार परिजनों के पहुंचने पर गार्ड ने अंदर सो रहे डॉक्टर को समस्या बताई तो डॉक्टर ने कह दिया कि नर्स को बता दिया है और नर्स बच्चे का इलाज कर देगी। इससे परिजन जब अस्पताल में नर्स के पास पहुंचे तो नर्स ने कह दिया कि उनके पास डॉक्टर का कोई फोन नहीं आया और वह बिना डॉक्टर की सलाह के कौन सी दवा दे सकती हैं। इससे सुबह तक बच्चे को इलाज नहीं मिल पाया और सुबह छह बजे बच्चे की जिला अस्पताल में मौत हो गई।
पहले भी हो चुकी है एक बच्चे की मौत-
वहीं जिला अस्पताल में करीब एक सप्ताह पहले भी डेढ़ साल के एक बच्चे की ऑक्सीजन बंद होने से मौत हो चुकी है। वहीं अन्य मरीज भी जिला अस्पताल में इलाज में जिम्मेदारों की लापरवाही का आरोप लगा चुके हैं। लेकिन इस पर न तो प्रशासन कोई गंभीरता दिखाता है और न हीं जिला अस्पताल प्रबंधन या स्वास्थ्य विभाग ध्यान देता है। हालांकि सोमवार सुबह हुई बच्चे की मौत में लापरवाही के आरोप को डॉक्टर ने झूठा बताया है और डॉक्टर का कहना है कि रात में चार बार जाकर इलाज किया था।
झूठा है आरोप, रातभर जुटे रहे इलाज में
बच्चे को निमोनिया और पेट दर्द की समस्या होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। रात में चार बार जाकर उसका इलाज किया और एक बार सीपीआर भी की। वहीं रात में ही बच्चे को इलाज के लिए अन्य जगह ले जाने की परिजनों को सलाह भी दी थी। बच्चे की मौत हो जाने के बाद परिजन झूठा आरोप लगा रहे हैं। वार्ड के अन्य मरीजों के अटेंडर बता सकते हैं कि सही क्या है, जिनके सामने हम रातभर बच्चे को बचाने के प्रयास में इलाज में जुटे रहे।
डॉ.मुकेश गोल्या, चिकित्सक जिला अस्पताल