दरअसल एक ओर जां विभिन्न जहां ग्राम पंचायतों में सरपंच पद के लिए प्रत्याशियों में होड़ लगी दिखी साथ ही बड़ी संख्या में प्रत्याशियों ने सरपंच पद का चुनाव लड़ने के लिए अपना नामांकन भी कराया। लेकिन मथनेर के बाद अशोकनगर जिले के ग्राम बायंगा में भी सरपंच चुनाव लड़ने के लिए कोई प्रत्याशी सामने नहीं आया, इससे यहां भी सरपंच पद पर कोई नामांकन फॉर्म नहीं भरा गया। ऐसे में अब मथेनर के साथ बायंगा में भी सरपंच पद खाली रहेगा।
यह मामला नईसराय तहसील की ग्राम पंचायत बायंगा का है। 1304 मतदाता वाली इस ग्राम पंचायत में 697 पुरुष और 607 महिला मतदाता हैं। सरपंच पद अनुसूचित जनजाति वर्ग की महिला के लिए आरक्षित किया गया था। गांव में सिर्फ एक आदिवासी पुरुष है, लेकिन अनुसूचित जनजाति वर्ग की कोई महिला मतदाता गांव में है।
इससे बायंगा ग्राम पंचायत में भी सरपंच पद पर कोई नामांकन फॉर्म नहीं भरा गया। आरक्षित वर्ग के मतदाता की संख्या देखे बिना सीट आरक्षित किए जाने से ग्रामीणों में नाराजगी है। ग्राम पंचायत में 15 पंच पद हैं, जिन पर लोगों ने नामांकन जमा किए हैं। इससे मथनेर व बायंगा ग्राम पंचायत में सरपंच पद पर चुनाव नहीं होगा।
- दीपेश धाकड़, तहसीलदार
प्रशासन ने आरक्षण में वर्ष 2011 की जनगणना को आधार बताया है, लेकिन मतदाता सूची की अनदेखी पर ग्रामीणों में नाराजगी है। गांव के परमालसिंह यादव का कहना है कि अधिकारी वर्ष 2011 की जनगणना के हिसाब से आरक्षण करना बता रहे हैं, जबकि मतदाता सूची में भी देखना चाहिए था कि जिसे सीट आरक्षित की जा रही है, उस वर्ग में गांव में महिला है या नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि जब उस वर्ग की महिला पंचायत में नहीं है तो बदलाव करना चाहिए था। लेकिन अब पंचायत में सरपंच पद खाली रह जाएगा।