निरंजन श्रोत्रिय की अध्यक्षता व मणिमोहन मेहता के संचालन के साथ सभा की शुरुआत हुई। साहित्य सम्मेलन के कार्यकारी अध्यक्ष महेश कटारे ने माथुर की कविताओं पर कहा कि कविता वही है जो आततायी को स्थापित न होने दे, उसका विरोध करे। कवि होना हर एक के बूते की बात नहीं, मैं खुद कभी कविता नहीं लिख सकता, क्योंकि कविता एक कठिन कर्म है। बीएचईएल के पूर्व निदेशक रहे कवि माथुर के बेटे अमिताभ माथुर ने कहा कि मेरा पूरा जीवन विज्ञान और गणित को समर्पित रहा है, जब मैं पिताजी की कविताओं को देखता हूँ, तो मुझे उनमें एक वैज्ञानिक की झलक दिखाई देती है।
उनमें वैज्ञानिक एवं कवि का एक अनूठा घालमेल था। मैंने उन्हें लगातार कविता लिखते हुए देखा। किसी भी काम के साथ- साथ उनकी कविता चलती रहती थी। वहीं उनके दूसरे बेटे कवि पवन माथुर ने भी अपने संस्मरण सुनाए। गोपालकुमार सक्सेना ने कवि माथुर पर अपना शोघ कार्य किया है। उन्होंने अपने शोध कार्यों पर जानकारी दी। सभा के अंत में मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से इप्टा अशोकनगर के कलाकारों को प्रशस्ति पत्र दिए गए और अतिथियों को स्मृति चिन्ह वितरित किए गए।