स्टेशन प्रबंधक बीएल मीणा के मुताबिक रेलवे के नए आदेश के मुताबिक अब 51608 गुना-बीना पैसेंजर और 51609 बीना-गुना पैसेंजर नियमित रूप से चलेगी, जो पांच फरवरी से रूट पर फिर से शुरू हो जाएगी। हालांकि यह दोनों पैसेंजर रविवार को रद्द रहेंगी। वहीं बीना-ग्वालियर और ग्वालियर-बीना पैसेंजर के संचालन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इससे बीना-ग्वालियर-बीना पैसेंजर सप्ताह में पांच दिन बंद रहेगी और सप्ताह में सिर्फ सोमवार व गुरुवार को ही चलेगी।
तीन दिन पहले राजस्थान के सांगानेर स्टेशन पर दयोदय एक्सप्रेस पटरियों से उतरकर नीचे गिर गई थी। इस घटना के बाद से ही ट्रेन अब रूट पर घंटों की देरी से चल रही है। जो घटना के दूसरे दिन करीब चार से पांच घंटे की देरी से आई थी। वहीं सोमवार को करीब आठ घंटे की देरी से आई, रात में 1:25 बजे आने वाली अजमेर-जबलपुर दयोदय एक्सप्रेस सुबह 9:37 बजे स्टेशन पर आई। इससे यात्रियों को ट्रेन आने का घंटों इंतजार करना पड़ा।
जिन छात्रों के केवायसी हो गए उन्हें तुरंत दिलाएं राशि, मकान मालिक कर रहे परेशान
अशोकनगर. शहर के शासकीय नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय में छात्रवृत्ति और आवास सहायता राशि के लिए केवायसी जमा करने का काम चल रहा है। लेकिन अभी सभी छात्रों के केवायसी नहीं हो पाए हैं, नतीजतन सभी छात्रों की राशि अटकी हुई है। इस पर एससी-एसटी और ओबीसी के छात्रों ने प्राचार्य को ज्ञापन देकर मांग की है कि जिन छात्रों के केवायसी हो चुके हैं, उन्हें राशि का तुरंत भुगतान कराएं। क्योंकि मकान मालिक किराए के लिए परेशान कर रहे हैं और यदि जल्दी राशि नहीं मिली तो उन्हें कमरे खाली करना पडेंगे जिससे पढ़ाई प्रभावित होगी।
ज्ञापन में छात्रों का कहना है कि एससी, एसटी व ओबीसी वर्ग के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति और एससी-एसटी वर्ग के छात्र-छात्राओं को आवास सहायता राशि केवायसी के चक्कर में अटकी हुई है। इसलिए शेष रहे छात्रों के चक्कर में उनकी आवास राशि न रोकी जाए। साथ ही ज्ञापन में छात्रों का कहना है कि आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग मंत्रालय के आदेश दिनांक 23 दिसंबर 2016 में स्पष्ट आदेश है कि छात्र-छात्राओं को गृह आवास की स्वीकृत राशि छह-छह माह के अंतराल में दो किस्तो में देय होगी, पहली किस्त जुलाई में और दूसरी किस्त जनवरी माह में देय होगी। लेकिन इस नियम का पालन नहीं हो रहा है। साथ ही छात्रों का कहना है कि निशुल्क किताबें व स्टेशनरी भी सत्र निकलने के बाद मिलती है, जो छात्रों के काम नहीं आती है।