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अच्छी रेट पाने सरकारी खरीद पर बेचा था चना, 8 माह में न भुगतान हुआ न अधिकारी सुन रहे

locationअशोकनगरPublished: Jan 03, 2019 09:51:26 am

Submitted by:

Arvind jain

– मामला समर्थन मूल्य पर हुई चना की खरीद का, फसल हाथ से गई और भुगतान पाने आठ महीने से चक्कर काट रहे किसान।

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अच्छी रेट पाने सरकारी खरीद पर बेचा था चना, 8 माह में न भुगतान हुआ न अधिकारी सुन रहे


अशोकनगर. समर्थन मूल्य पर हुई चना-मसूर की खरीद जिले के किसानों के लिए आफत बन गई। मंडी में भाव कम होने से अच्छी कीमत पाने किसानों ने सरकारी खरीद में अपने चना-मसूर बेच दिए, लेकिन आठ महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें उस बेचे गए अनाज का भुगतान नहीं मिला है। इससे किसानों के हाथ से उपज तो चली ही गई, वहीं अब जिम्मेदार अधिकारी भी उनकी इस समस्या को सुनने को तक तैयार नहीं हैं।

पीपलखेड़ा गांव के किसान बहादुरसिंह पुत्र सरदारसिंह यादव ने 10 जून को सेवा सहकारी संस्था ऊमरी के खरीदी केंद्र पर अपना चेना बेचा था, जिसका 1.10 लाख रुपए भुगतान होना था लेकिन इस बेचे गए चना की आज तक उनके खाते में राशि नहीं आई। इससे वह खरीदी केंद्र संचालक और बैंक के चक्कर काट रहे हैं। गनहारी निवासी किसान सुशील रघुवंशी पुत्र नथनसिंह रघुवंशी ने 9 जून को सेवा सहकारी संस्था सारसखेड़ी के खरीदी केंद्र पर 30 क्विंटल 50 किलो चना बेचा था, 4400 रुपए प्रति क्विंटल की रेट से उन्हें एक लाख 34 हजार 200 रुपए का भुगतान होना था लेकिन अब तक भुगतान नहीं हुआ।
अमाही निवासी किसान शिवकुमार पुत्र बलवंतसिंह रघुवंशी ने 29 मइ को सरकारी खरीद पर एक लाख 36 हजार 400 रुपए कीमत का चना बेचा था, लेकिन उन्हें भी अब तक बेचे गए चना का भुगतान नहीं मिला। यह सिर्फ तीन या चार किसानों की बात नहीं, बल्कि जिले में दर्जनों किसान ऐसे हैं जिन्हें आठ महीने बाद भी बेची गई चना-मसूर का भुगतान अब तक नहीं मिला है।
हाथ से गई उपज, दूसरी फसलें भी हुईं खराब-
चार से पांच महीने तक कड़ाके की सर्दी और शीतलहर के बीच खेतों में खड़े रहकर फसलों की किसानों ने सिचाई की और मेहनत कर फसल तैयार की। लेकिन अच्छी रेट पाने के चक्कर में उनके हाथ से उपज भी चली गई। किसानों का कहना है कि यदि वह मंडी में बेचते तो जो भी कीमत मिलती, उससे वह अपना काम चला लेते, लेकिन सरकारी खरीद में बेचने से उनकी आफत बढ़ गई। भुगतान न मिलने से जहां वह न तो अपना कर्जा चुका पाए और न हीं बाद की फसलों की देखरेख कर पाए। इससे खरीफ और रबी सीजन की फसलें भी खराब हो गईं।
किसान बोले अब तो भगाने लगे अधिकारी-
किसानों का कहना है कि उपज हाथ से चली जाने के बाद वह आठ महीने से लगातार खरीदी केंद्र संचालकों और बैंकों के अलावा सरकारी ऑफिसों के चक्कर काट रहे हैं। दर्जनों शिकायतें करने के बाद भी उनका भुगतान कराने पर जिम्मेदार अधिकारी ध्यान तो दे ही नहीं रहे, वहीं अब किसान शिकायत करने पहुंचते हैं तो अधिकारी अब उन्हें देखते ही भगाने लगे हैं।
बड़ा सवाल: किसानों की समस्या पर अनदेखी क्यों?
विभाग ने आठ महीने पहले किसानों की उपज तो खरीद ली, लेकिन अब तक भुगतान नहीं किया। इससे जहां किसानों के कर्जा पर ब्याज बढ़ रहा है और बैंकों में वह ओवरड्यू हो चुके हैं। जबकि मंडी एक्ट के अनुसार यदि तय समय पर भुगतान नहीं होता है तो किसानों को ब्याज दिए जाने का नियम है। लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर किसानों की समस्या पर यह अनदेखी क्यों बरती जा रही है और जान-बूझकर अधिकारी किसानों का भुगतान रोककर क्यों उन्हें गलत कदम उठाने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
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