हम बात कर रहे हैं सूरेल से चार किमी दूर जंगली क्षेत्र में मौजूद आमखो की। अशोकनगर से 26 किमी दूर स्थित आमखो प्राचीन क्षेत्र है, जहां हर रविवार को लोग परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए पहुंचते हैं और यहां स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर में पहुंचकर दर्शन करते हैं। पहले यह क्षेत्र सुनसान रहता था और कम लोग ही यहां आते थे। लेकिन कुछ महीने पहले राज्यमंत्री बृजेंद्रसिंह यादव ने यहां पर यज्ञ कराया, तो हजारों लोग यहां पहुंचे और तब से आमखो पर रोजाना बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं, साथ रविवार को भीड़ बढ़ जाती है।
200 साल प्राचीन है मंदिर
मंदिर पर करीब 35 साल से रह रहे 95 वर्षीय संत रूपकिशोरदास के मुताबिक पंचमुखी हनुमान मंदिर करीब 200 साल पुराना है। जहां पर संत जानकीदास महाराज की समाधि भी बनी हुई है, जिन्होंने यहीं रहकर तपस्या की और यहीं पर समाधि ली थी। संत रूपकिशोरदास जी का कहना है कि यहां मंदिर के चारों तरफ आम के पेड़ ज्यादा हैं, इसलिए इस जगह का नाम आमखो हो गया है। हालांकि लोगों का कहना है कि जंगली क्षेत्र होने से यहां जंगली जानवर भी घूमते रहते हैं, लेकिन पास में ही गांव होने से जंगली जानवर अब ज्यादा नहीं आते हैं।
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यहां पहाड़ी पर प्राकृतिक झरना है, इसकी खासियत यह है कि सर्दी के मौसम में यहां पर गर्म पानी निकलता है तो वहीं गर्मी के मौसम में ठंडा पानी निकलता है। जो बहकर कुए में पहुंचता है और यहां से राची नदी में पहुंचता है। हालांकि नदी में पहुंचते ही पानी सर्दियों में ठंडा हो जाता है और यह नदी आगे जाकर महोली के पास घोड़ापछाड़ नदी में मिल जाती है। हालांकि बारिश के मौसम में इस क्षेत्र में पानी भर जाता है और मंदिर का चबूतरा पानी में डूब जाता है।