पाइपों के माध्यम से पहुंचेगा पानी खेतों तक पानी-
विभाग के एसडीओ डीपी गोल्या का कहना है कि इस प्रोजेक्ट में नहर बनाने की वजाय पाइपों के माध्यम से प्रेशर इरिगेशन किया जाएगा। दोनों जिलों के लिए बांध के दोनों तरफ दो पंप स्टेशन बनाए जाएंगे, जिन पर बड़े विद्युत पंप लगाए जाएंगे। साथ ही जमीन में पाइप बिछाकर नहरें निकाली जाएंगी और खेतों तक भी पाइपों के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा।
इससे नहरों में पानी सोखने की समस्या भी नहीं होगी और बांध से भेजा गया बूंद-बंूद पानी खेतों में फसलों के काम आएगा। अशोकनगर जिले में जलसंसाधन विभाग की 44 सिचाई परियोजनाएं हैं, जिनमें 31 मध्यम और लघु बांध सिचाई परियोजनाएं व शेष स्टॉप डेम हैं। जिनसे जिले की 20 हजार 66 हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है, लेकिन इस बांध के बनने से जिले की सिचाई क्षमता बढ़कर 29 हजार 66 हेक्टेयर हो जाएगी।
23 गांव होंगे प्रभावित, चार पूरी तरह डूब जाएंगे- प्रोजेक्ट में नदी तल से 20.5 मीटर ऊंचे बांध का निर्माण प्रस्तावित है और खेतों के लेवल से बांध 11 मीटर ऊंचा रहेगा। बांध निर्माण से गुना, अशोकनगर और विदिशा जिले के 23 गांव प्रभावित होंगे, जिसमें चार गांव पूरी तरह से डूब जाएंगे और पांच गांव आंशिक रूप से डूबेंगे। वहीं शेष 14 गांवों की कुछ जमीन ही इसके डूब क्षेत्र में आएगी, इससे यह प्रभावित होंगे।
शहर के पेयजल के लिए रहेगा पांच एमसीएम पानी- बांध में अशोकनगर शहर के पेयजल की समस्या का भी ध्यान रखा गया है। एसडीओ डीपी गोल्या के मुताबिक 94 एमसीएम क्षमता वाले इस तालाब में पांच एमसीएम पानी शहर के पेयजल के लिए आरक्षित रखा जाएगा। बांध बनने के साथ ही शहर तक पाइप लाइन भी बिछाई जाएगी और निर्माण पूर्ण होते ही इससे शहर को पेयजल सप्लाई शुरू हो जाएगा। इससे गर्मियों के मौसम में शहर को पेयजल की समस्या से निजात मिल जाएगी।
प्रोजेक्ट की यह है खास बात- – राजघाट के बाद जिले का सबसे बड़ा बांध कोंचा बांध है। जिससे पांच हजार हेक्टेयर की सिचाई होती है, लेकिन इससे 9 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी।
– मिट्टी खोदकर खुली नहरें बनाने की वजाय पाइपों के माध्यम से अंडरग्राउंड नहरें निकाली जाएंगी, इससे पानी सोखने की समस्या नहीं होगी।
– जिले की सिचाई क्षमता बढ़ेगी और आसपास के गांवों का भू-जलस्तर भी बढ़ जाएगा। इससे अन्य गांवों को भी पानी की कमी की समस्या से मुक्ति मिलेगी।
– पूरी तरह से सूखने की कगार पर आ चुकी सिंध नदी को फिर से जीवनदान मिल जाएगा और इसमें वर्षभर पानी भरा रहने लगेगा।
डेम की प्रारंभिक सर्वे रिपोर्ट पर एक नजर- योजना का नाम – वृहद सिंध सिचाई परियोजना
योजना की लागत- 775.23 करोड़ रुपए
लाभांवित गांव – 52 गांव
डूब क्षेत्र – 2580 हेक्टेयर
प्रभावित क्षेत्र – 23 गांव
ऊंचाई – 20.5 मीटर
भराव क्षमता – 94 एमसीएम
सिचाई क्षमता – 22500 हेक्टेयर
(आंकड़े जलसंसाधन विभाग अनुसार।)
सिंध नदी पर बांध निर्माण का प्रारंभिक सर्वे कर शासन को भेज दिया गया है और पर्यावरण विभाग से स्वीकृति मांगी है। पर्यावरण विभाग से स्वीकृति मिलने के बाद प्रक्रिया तेज हो जाएगी। वहीं वन विभाग से भी लिखित में ले लिया गया है कि नदी पर 20 किमी के हिस्से पर कोई भी अभ्यारण्य नहीं है। इससे निर्माण में वन विभाग की भी कोई आपत्ति नहीं आएगी।
डीपी गोल्या, एसडीओ जलसंसाधन विभाग अशोकनगर