मां जानकी मंदिर पर रंगपंचमी पर आयोजित होने वाले मेले में हर साल 15 से 20 लाख श्रद्धालु पहुंचते है। पहाड़ी के नीचे मेला क्षेत्र बनाया जाता है, जहां सैंकड़ों दुकानें लगती हैं। इन दुकानों से दूर खाली जगह में खेतों में राई नृत्य के आयोजन होते हैं। रंगपंचमी की रात में करीब 15 लाख श्रद्धालु होने से हर जगह भीड़ ही भीड़ नजर आती है। लेकिन ऐसे में यदि किसी स्पॉट पर सुरक्षा व्यवस्था भेजी जाना हो या फिर किसी श्रद्धालु को मदद की जरूरत हो तो उस स्पॉट को ढूंढने में लंबा समय लगता है। इससे इस बार मेले में खंभों पर नंबरिंग की जाएगी, ताकि जरूरत के समय लोग उन नंबरों को देखकर जगह की पहचान बता सकें।
जानकारी मिलते ही नक्शे पर पहचान ली जाएगी जगह-
अधिकारियों के मंदिर परिसर, पहाड़ी और मेला क्षेत्र का पार्किंग स्थल व सड़क मार्ग दर्ज कर नक्शा तैयार किया जा रहा है। साथ ही नक्शे में इन खंभों के इन नंबरों को भी दर्ज किया जाएगा। इससे यदि अधिकारियों को किसी जगह पर पुलिस या अन्य सुरक्षा सामग्री भेजना है या किसी श्रद्धालु को मदद की जरूरत है, तो उस जगह के खंभे का नंबर पूछा जाएगा और नक्शे पर तुरंत ही उस जगह की पहचान हो जाएगी। इससे उस नंबर के आसपास तैनात पुलिस जवानों या अधिकारियों को तुरंत वहां भेजा जा सकेगा।
खोया-पाया में भी खंभे का नंबर बताना होगा-
भीड़ में यदि कोई श्रद्धालु अपने साथियों से बिछड़ जाता है, तो इसके लिए मेले में खोया-पाया केंद्र बनाया जाएगा। साथ ही मेले की सभी छह पुलिस चौकियों पर खोया-पाया के एनाउंसमेंट होंगे। इससे लोग अपने साथियों को ढंूढने के लिए एनाउंसमेंट से अपने खंभे का नंबर भी बता सकेंगे कि वह इतने नंबर के खंभे के पास हैं। ताकि साथी उसे आसानी से ढूंढ सकें।
कलेक्टर के निर्देश पर मेला क्षेत्र में खंभों पर नंबरिंग कराई जा रही है और यह नंबर मेले के नक्शे में भी दर्ज होंगे। ताकि जरूरत के समय आसानी से उस जगह की पहचान कर वहां पर मदद पहुंचाई जा सके।
महेंद्रसिंह यादव, अध्यक्ष मां जानकी मंदिर ट्रस्ट करीला