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15 साल बाद पुलिस ने दर्ज की FIR

locationअशोकनगरPublished: Sep 09, 2019 02:57:55 pm

Submitted by:

Arvind jain

्कार्रवाई: जिस जमीन को कलेक्टर ने मना किया, फिर भी बिना अनुमति मंडी ने खरीद ली वह जमीन।- मंडी के लिए सड़क बनाने वर्ष 2004-05 में मंडी प्रांगण से लगी जमीन नियम विरुद्ध तरीके से खरीदने का मामला।

kidnap : Husband-wife-son-FIR

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अशोकनगर। मंडी प्रांगण से लगी जिस जमीन को खरीदने से कलेक्टर ने इंकार किया, लेकिन निजी भूमि स्वामी को लाभ पहुंचाने मंडी ने वह जमीन नियम विरुद्ध तरीके से 7.85 लाख रुपए में खरीद ली। 15 साल बाद उस जमीन की खरीदी में अधिकारियों की भूमि स्वामी से सांठ-गांठ का मामला सामने आया है। इससे पुलिस ने तत्कालीन उपसंचालक, तत्कालीन एसडीएम और मंडी सचिव के खिलाफ धारा 420 के तहत प्रकरण FIR दर्ज कर लिया है और जांच शुरु कर दी है।


अधिकारियों को दोषी पाया
मामला 2004-05 में कृषि उपज मंडी अशोकनगर का है। मंडी प्रांगण से लगी हुई निजी जमीन को मंडी के लिए सड़क बनाने के नाम पर मंडी के अधिकारियों ने खरीद लिया और इस जमीन को खरीदने के लिए सक्षम अधिकारी से अनुमति भी नहीं ली गई। नियम विरुद्ध तरीके से जमीन खरीदने के मामले में मप्र राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड ने उस समय के तीन अधिकारियों को दोषी पाया।

 

मामले की विवेचना होगी
साथ ही मंडी बोर्ड ने 22 जून 2019 को कार्रवाई के लिए पुलिस को पत्र लिखा। इससे कोतवाली पुलिस ने तत्कालीन मंडी उपसंचालक ग्वालियर आईएस बघेल, तत्कालीन मंडी भारसाधक अधिकारी एसडीएम नारायणसिंह ठाकुर और तत्कालीन मंडी सचिव सोबरनसिंह चौहान के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है। पुलिस के मुताबिक अब इस मामले की विवेचना होगी।

 

रास्ता बनाने 7.85 लाख रुपए में खरीदी थी जमीन-
मंडी तक रास्ता बनाने के लिए मंडी समिति ने प्रांगण से लगी पांच सर्वे नंबरों की 4.005 हेक्टेयर भूमि को खरीदने का 31 मई 2004 को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर निर्णय लिया था। मंडी सचिव ने 29 जुलाई 2004 को उक्त भूमि के अधिग्रहण करने की कार्रवाई के लिए उपसंचालक मंडी बोर्ड ग्वालियर को पत्र लिखा।


मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड भोपाल के संयुक्त संचालक ने सात अगस्त 2004 को पत्र जारी कर मंडी प्रांगण से लगी शासकीय भूमि को मंडी में शामिल करने का उपसंचालक ग्वालियर से अभिमत मांगा था। लेकिन इस प्रक्रिया के बाद भी मंडी ने प्रांगण से लगी 44 हजार 876 फिट निजी भूमि सात लाख 85 हजार 474 रुपए में नियम विरुद्ध तरीके से खरीद ली थी।

 

कलेक्टर ने कहा था मंडी की वजाय भूमि स्वामी को होगा लाभ-
एफआईआर अनुसार इस निजी जमीन को खरीदने के मामले में तत्कालीन कलेक्टर आठ फरवरी 2005 को अपना अभिमत दिया था कि इस भूमि से मंडी प्रांगण का विस्तार तो नहीं होगा, लेकिन निजी भूमि स्वामी को परोक्ष रूप से भारी लाभ होगा। कलेक्टर द्वारा इंकार किए जाने के बाद भी तीनों अधिकारियों ने भूमि स्वामी को लाभ पहुंचाने सांठ-गांठ कर समक्ष अधिकारी की अनुमति के बिना ही इस जमीन को खरीद लिया था। इस मामले की शिकायत पूर्व विधायक व मंडी सदस्य चिमनलाल सड़ाना ने की थी।


दो माह पहले मंडी ने पत्र में कहा दूसरा था सचिव-
मंडी अधिकारियों का कहना है कि जब यह जमीन खरीदी गई, उस समय मंडी सचिव दीवानसिंह चौहान थे। जब मंडी बोर्ड ने तीनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस को पत्र लिखा तो दो महीने पहले ही मंडी सचिव ने पत्र लिखकर मंडी बोर्ड को बताया था कि जमीन खरीदी के दौरान सचिव दीवानसिंह चौहान थे।

 

बिना अनुमति के यह जमीन नियम विरुद्ध तरीके से खरीदी गई थी, जिसकी मैंने शिकायत की थी। जमीन खरीदी के समय एसडीएम नारायणसिंह ठाकुर मंडी प्रशासक थे और अधिकारियों ने फाईल भी गायब कर दी थी। उस मंडी सचिव दीवानसिंह चौहान भी थे।
चिमनलाल सड़ाना, पूर्व विधायक व शिकायतकर्ता


निजी भूमि स्वामी को लाभ पहुंचाने के लिए जमीन खरीदने का मामला है, इस मामले में लोकायुक्त और मंडी बोर्ड ने जांच की है। उनके पत्र पर ही तीनों तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। अब इस मामले की इन्वेस्टिगेशन करेंगे और जिन अधिकारियों ने जांच की है, उनके संबंधित दस्तावेज लिए जाएंगे।
पीपी मुदगल, टीआई कोतवाली अशोकनगर

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