ईटों व सरियों से पिलर बनाए जा रहे
उल्लेखनीय है कि पानी के तेज बहाव में विसर्जन कुंड की एक दीवार क्षतिग्रस्त हो गई थी। इसके साथ ही कुंड में गंदा पानी जमा हो गया है। कुंड को खाली करवाकर साफ किया जा रहा है और दीवार को साधने बोरियों में मिट्टी भरी जा रही है। इस काम के लिए सात हजार बोरियों का इस्तेमाल किया जाएगा। नपा के इंजीनियर अंबक पाराशर ने बताया कि नीचे बीम डालकर ईटों व सरियों से पिलर बनाए जा रहे हैं। इनके बीच लकड़ी के पटिए लगाकर गिट्टी भरी जाएगी। इसके बाद बोरियों को जमाया जाएगा।
रास्ते को भी मिट्टी डालकर दुरुस्त करवाया
काम शुरू हो गया है और रविवार शनिवार तक पूरा किया जाना है। ताकि रविवार से कुंड भरने का काम शुरू हो सके। सोमवार को डोल ग्यारस है और झांकियां विसर्जन के लिए यहां आएंगी। पानी के बहाव से ऊबड़-खाबड़ हो चुके रास्ते को भी मिट्टी डालकर दुरुस्त करवाया जा रहा है।
समस्या: शशीन्द्र राणा चौराहा बदहाल
विमानों व झाकियों के रास्ते पर शशीन्द्र राणा चौराहा भी पड़ता है।जो बदहाल पड़ा है। यहां गहरे गड्ढे हैं और रास्ता ऊबड़-खाबड़ है। जिससे विमान व झांकी लाने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी उठानी पड़ेगी और उनके गिरने का डर भी रहेगा। चौराहे पर भी सड़को दुरुस्त किया जाना जरूरी है। यदि बारिश हुई तो फिसल व कीचड़ होने से समस्या और अधिक बढ़ जाएगी।
फिटकरी व ब्लीच पावडर से करेंगे साफ
कुंड में पानी स्वच्छ रहे इसके लिए फिटकरी व ब्लीच पावडर का इस्तेमाल किया जाएगा। पहले पानी को निकालकर तिरपाल बिछाई जाएगी। इसके बाद दूसरा पानी भरा जाएगा। पानी निकासी के लिए एक पाइप भी कुंड में लगाया जा रहा है। विसर्जन के बाद पूजन सामग्री आदि को निकालने कर्मचारी तैनात रहेंगे।
कुंड के साथ चबूतरा भी हो रहा है तैयार
विसर्जन कुंड के साथ ही चबूतरा भी तैयार किया जा रहा है। इसकी मरम्मत और पुताई का काम शुरू हो गया है। चबूतरे की लंबाई बढ़ाने के लिए यहां टेबिलें लगाई जाएंगी। ताकि अधिक विमान आने पर किसी तरह की परेशानी न हो और सभी विमानों को चबूतरे पर जगह मिल सके। इस बार विमानों की संख्या 35 रहेगी।