विकलांगों की समस्या की तीन कहानियां-
1. बेटे की मौत पर सहायता राशि के लिए घिसटकर पहुंचा पिता-
गोरा गांव निवासी दलवीरसिंह गेगरीन की बीमारी से ग्रसित है, 20 साल पहले एक पैर कटा और दो महीने पहले दूसरे पैर भी कट गया। पुत्र गोविंद की बिच्छू के काटने से मौत हो गई, इससे बेटे की मृत्यु पर सहायता राशि की मांग करने दलवीर घिटसते हुए सीडिय़ां चढ़कर पहुंचा।
2. विकलांग सहायता के लिए बैसाखी ने लगाया पार-
बावड़ीखेड़ा निवासी करतारसिंह बंजारा का एक पैर नहीं है, विकलांगता प्रमाण पत्र तो मिल गया लेकिन सहायता राशि स्वीकृत नहीं हुई। इससे करतारसिंह बैसाखी के सहारे बड़ी मुश्किल से कलेक्ट्रेट की सीडिय़ों को चढ़कर अधिकारियों तक पहुंचा।
3. आवास के लिए डंडे के सहारे ऑफिस तक पहुंचा-
बावड़ीखेड़ा निवासी मौकमसिंह बंजारा भी विकलांग है और एक पैर कमजोर होने की वजह से चलने के लिए उसे डंडे का सहारा लेना पड़ता है। आवास स्वीकृत नहीं हुआ तो वह आवेदन करने कलेक्ट्रेट पहुंचा, लेकिन डंडे के सहारे उसे सीडिय़ां चढऩा पड़ी।