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किसान उड़द लेकर पहुंचा तो खरीदी संचालक बोला इस केंद्र की नहीं बढ़ी तारीख

locationअशोकनगरPublished: Jan 25, 2019 08:23:29 am

Submitted by:

Arvind jain

केंद्रों पर न सर्वेयर मिल रहे और न हीं खरीदी केंद्र संचालक, भटक रहे किसान आज बंद हो जाएगी सरकारी खरीद।

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किसान उड़द लेकर पहुंचा तो खरीदी संचालक बोला इस केंद्र की नहीं बढ़ी तारीख


अशोकनगर. समर्थन मूल्य पर उड़द की खरीदी किसानों के लिए परेशानी बन गई। खरीदी केंद्रों पर किसानों को न तो उपज की गुणवत्ता जांच करने सर्वेयर मिले और उसे खरीदने वाले खरीदी केंद्र संचालक। हालत यह है कि शासन ने जहां पूरे प्रदेश में खरीदी की तारीख बढ़ाई थी, लेकिन जब किसान अपनी उपज लेकर पहुंचा तो खरीदी केंद्र संचालक ने यह कहकर खरीदने से इंकार कर दिया कि शासन ने इस केंद्र की तो खरीदी की तारीख बढ़ाई ही नहीं। नतीजतन किसान की उड़द समर्थन मूल्य पर नहीं बिक सकी।
मामला जिले की मुंगावली तहसील के सेवा सहकारी संस्था बामोरी के खरीदी केंद्र का है। कांग्रेस नेता व किसान इफ्तिकार मोहम्मद का कहना है कि जहां पहले खरीदी न करने का कारण अधिकारी चुनाव में व्यस्तता को बताते रहे और बाद में शासन ने खरीदी की अंतिम तारीख को 19 जनवरी से बढ़ाकर 25 जनवरी किया तो वह अपना 60 क्विंटल उड़द लेकर खरीदी केंद्र पर पहुंचे। लेकिन केंद्र पर कोई नहीं मिला, केंद्र संचालक को फोन लगाया तो उसने सर्वेयर से जांच कराने की बात कही।
इफ्तिकार मोहम्मद ने बताया कि वह दो घंटे तक केंद्र पर सर्वेयर के आने का इंतजार करते रहे, जब वह नहीं आया तो फिर से केंद्र संचालक को फोन लगाया। लेकिन केंद्र संचालक ने यह कहकर खरीदने से इंकार कर दिया कि सर्वेयर ने कहा है कि शासन ने सिर्फ अशोकनगर शहर के खरीदी केंद्र की ही तारीख बढ़ाई है, अन्य केंद्रों की नहीं। नतीजतन उनका उड़द नहीं खरीदा गया। यह एक किसान की कहानी नहीं, बल्कि हजारों किसान इसी तरह से अपना उड़द बेचने के लिए परेशान होते रहे और अधिकारियों से भी शिकायत की, लेकिन किसी भी अधिकारी ने कार्रवाई तो दूर खरीदी केंद्रों की हकीकत जानना तक मुनासिब नहीं समझा।
जिले में सिर्फ 129 किसानों से खरीदा उड़द-

जिले में 35 हजार से अधिक किसान सरकारी खरीदी केंद्रों पर अपना उड़द बेचने के लिए पंजीयन कराया था। लेकिन जिले के 19 खरीदी केंद्रों में से सिर्फ सात खरीदी केंद्रों पर ही 129 किसानों से 1943 क्विंटल उड़द खरीदा गया और शेष 12 केंद्रों ने एक दाना भी नहीं खरीदा। जबकि प्रदेश के अन्य जिलों में लाखों क्विंटल उड़द की खरीदी हुई है। इससे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर ऐसा क्या कारण रहा जो प्रशासन ने केंद्र संचालकों की मनमानी पर कार्रवाई तो दूर कारण पूछना तक मुनासिब नहीं समझा।
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