हमारी शिक्षा रहन सहन व खान पान पाश्चात संस्कृति से जुडऩे के कारण हमारी संस्कृति व सभ्यता का नुकसान हो रहा है: मुनिश्री अक्षयसागर
-नारी संस्कार विषय पर हुआ सम्मेलन का आयोजन
अशोकनगर
Updated: April 18, 2022 07:45:56 pm
अशोकनगर. संस्कृति नैतिकता आदर्श तथा चारित्र नारी के पद विन्यास में सुरक्षित है। नारी अपने सतीत्व से आचरण की पवित्रता से विनय शीलता विवेक से इस भारत की धरा को विभूषित कर रही है हमारी बेटियो व बहुओं को अपना आदर्श सती सीताजी को बनाकर जीवनशैली को विकसित करना है वर्तमान में हमारी शिक्षा रहन सहन व खान पान पाश्चात्य संस्कृति से जुडऩे के कारण के हमारी संस्कृति और सभ्यता का नुक़सान हो रहा है। उक्त उदगार मुनिश्री अक्षयसागरजी महाराज ने नारी संस्कार सम्मेलन को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
सोमवार को सुभाषगंज जैन मंदिर पर श्रमण संस्कृति में नारी विषय पर संस्कार सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का शुभारंभ आचार्यश्री के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया। दीप प्रज्वलन का सौभाग्य महेन्द्र कड़ेसरा, प्रसन्न जैन, विपिन सिंघई, मनीष जैन, विजय धुर्रा को मिला। इस दौरान मुनिश्री ने १४ बर्ष से अधिक की बेटियों व बहुओं को नारी मे संस्कार के गुण बताए। मुनिश्री ने बताया कि आपके जीवन में उज्जवलता आकर आप कल्याण के पात्र बने अनादि कालीन इस श्रमण परम्परा में ऋषभदेव, महावीर, राम, हनुमानजी जैसे अनेक महापुरुषों ने जन्म लेकर आत्मा से परमात्मा पद को प्राप्त किया। इस वसुन्धरा को नारी ने अपने सतीत्व के कारण गौरवान्वित किया है।
श्रमण परम्परा में नारी जगत की गौरवगाथा भरी पड़ी है
मुनिश्री ने बताया कि श्रमण परम्परा में नारी जगत की गौरवगाथा भरी पड़ी है। सती सीता पर जब लोक अपवाद आया तो उन्हें जंगल में छोडा़ गया और बाद में उन्होंने अग्नि परीक्षा देकर जगत को सती के शील की महिमा से अवगत कराया। मुनिश्री ने बताया कि हमारे आदर्श विषयों से कभी प्रभावित नहीं हुए तो हम क्यों भौतिक संसाधनों में उलझकर अपने संस्कारों को नहीं खोना है संस्कार धानी जबलपुर मडियाजी तीर्थ का निर्माण हाथ से चक्की पीस पीस कर मन्दिर बनाया। पुर्तगाली सेना के छक्के छुड़ाने वाली वीरांगना ऐसी ऐसी नारी हुईं हैं जिससे हमारी संस्कृति गौरवान्वित है।
फटा कपड़ा पहनाना अमंगल का प्रतीक है
मुनिश्री ने कहा कि आज व्यक्ति फैशन के दौर में फटे कपड़े पहने चला जा रहा है जबकि दिख रहा है वस्त्र नया है सिर्फ फैशन के कारण फ़ाड़ा गया है यह आपके अमंगल का pointer है। दरिद्रता को खुला निमंत्रण है। सावधान ऐसी गलतियों से अपने आप को बचाएं। सम्मेलन का संचालन विजय धुर्रा ने किया।
संस्कृति संस्कारों की सुरक्षा गृहणियों के हाथ में है
विजय धुर्रा ने कहा कि आज का युग अर्थ प्रधान होने के कारण हम संस्कारों के साथ ही नैतिक आचरण से दूर होते जा रहे हैं। हर व्यक्ति धन के पीछे भागे जा रहा है। पूज्यश्री ने आपकी सुख समृद्धि के लिए ही इन सम्मेलनों को आहुत कराया है। समाज के उपाध्यक्ष महेंद्र कडेसरा ने कहा कि संस्कृति संस्कारों की सुरक्षा गृहणियों के हाथ में है। मां अपने बेटे बेटियो को घुट्टी में ही संस्कार देती है इन परम्पराओं में कमी आती जा रही है इसे बनाये रखने के साथ ही उत्थान की आवश्यकता है।

-नारी संस्कार विषय पर हुआ सम्मेलन का आयोजन
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