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पांच किमी के चक्कर से बचने नदी को पैदल पारकर निकलते हैं ग्रामीण

locationअशोकनगरPublished: Jan 14, 2019 06:38:50 pm

Submitted by:

Manoj vishwakarma

उत्खननकारियों ने रेत निकालने कर दिए नदी में कई जगह गहरे गड्ढ़े, जिनसे बना रहता है लोगों में गिरने का डर

patrika news

पांच किमी के चक्कर से बचने नदी को पैदल पारकर निकलते हैं ग्रामीण

अशोकनगर. पांच से सात किमी का अतिरिक्त चक्कर बचाने के लिए करीब पांच गांवों के ग्रामीण आज भी 20 फिट चौड़ी नदी को जान जोखिम में डालकर पैदल पार करने के लिए मजबूर हैं। जिस जगह से ग्रामीण निकलते हैं नदी में उस जगह पर उत्खननकारियों ने रेत निकालने के चक्कर में गहरे गड्ढ़े बना दिए हैं। इससे इन ग्रामीणों को निकलने के लिए रोजाना अपनी जान जोखिम में डालना पड़ती है, क्योंकि यदि छोटी सी भी चूक हुई तो सीधे वह गड्ढ़ों में गिरेंगे, इससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
तूमैन गांव के पास नदी के दूसरी तरफ पांच-छह गांव है, शासन ने नदी पर पुल भी बनाया है लेकिन सोमवार को जलालपुर, मटपुरा, छुईपुरा, जुगया, दंडोतियापुरा और पुरा गांव के करीब नदी के तीन से चार फिट गहरे पानी में से निकलते दिखे। यह एक दिन की बात नहीं, बल्कि ग्रामीणों को रोजाना इसी तरह से नदी पार करना पड़ती है। ग्रामीण निरंजनसिंह के मुताबिक पुल पार करने पांच से सात किमी का चक्कर लगाना पड़ता है, इससे वाहनों से आने वाले लोग तो पुल से निकलते हैं लेकिन पैदल शॉर्टकट के चक्कर में नदी में से होकर निकलना पड़ता है। श्रीबाई ने बताया कि पैदल जाने के चक्कर में पुल से नहीं निकलते, इसलिए नदी से ही निकलते हैं लेकिन नदी में गहरे गड्ढ़े होने से गिरने का खतरा बना रहता है।
गले में पेंट टांगकर नदी से निकलते हैं बच्चे

नदी पार करने के लिए सबसे ज्यादा समस्या महिलाओं और बच्चों की रहती है। बच्चे गले में पेंट टांगकर दो से तीन फिट गहरे पानी में से होकर निकलते हैं, तो वहीं महिलाएं छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर निकलती दिखीं, साथ ही कपड़ों को भी भीगने से बचाना पड़ता है। ऐसे में कई बार लोग फिसलकर गिर जाते हैं और भीग जाते हैं। इससे बाद में उन्हें वापस कपड़े बदलने के लिए घर लौटना पड़ता है और से इसी तरह से नदी को पार करते हैं।

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