पेयजल विहीन हुए रास्ते: सड़कों के निर्माण में दफन हुए एक सैकड़ा हैंडपंप, तो रास्तों पर राहगीरों को नहीं पानी
सड़कों पर पेयजल व्यवस्था न होने से गर्मी के मौसम में प्यास बुझाने लोग परेशान।
अशोकनगर
Published: April 23, 2022 09:45:09 pm
अशोकनगर. सड़कों के चौड़ीकरण से जहां वाहनों की तो रफ्तार बढ़ गई, लेकिन चौड़ीकरण के कार्य में जिले में एक सैकड़ा हैंडपम्प दफन हो गए। नतीजतन जिले के मुख्य मार्ग पेयजल विहीन हो गए और भीषण गर्मी के मौसम में यहां से निकलने वाले राहगीरों को प्यास बुझाने परेशान होना पड़ता है। यह स्थिति शहर की ज्यादातर मुख्य मार्गों की है।
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्व में गांव में अंदर और सड़कों के किनारे बड़ी संख्या में हैंडपम्प लगे थे। जिनसे ग्रामीण तो पानी भरते ही थे, साथ ही सड़कों से निकलने वाले लोग भी पानी पीते थे। लेकिन बाद में जब सड़कों का चौड़ीकरण किया तो जिले में करीब एक सैंकड़ा हैंडपम्प सड़क निर्माण सीमा में आए। इससे इन हैंडपंपों को सड़क निर्माण में ही दफन कर दिया गया। इससे सड़क किनारे के ज्यादातर हैंडपम्प गायब हो गए और मुख्य सड़कों पर राहगीरों को पानी की समस्या बढ़ गई। नतीजतन सड़क से निकलते वाहन चालकों को गर्मी के मौसम में दुकानों से पानी की बोतल और पाउच खरीदकर प्यास बुझाना पड़ती है।
स्थिति: नौं साल पहले हाइवे में दफन हो गए थे 57 हैंडपम्प
वर्ष 2012-13 में पिछोर से मेहलुआ चौराहा तक हाइवे का चौड़ीकरण कार्य शुरू हुआ तो इसके निर्माण में ही जिले में चंदेरी से घाट बमूरिया तक के हिस्से में ही 57 हैंडपम्प दफन हो गए थे। इससे पीएचई विभाग मुंगावली के तत्कालीन एसडीओ ने मप्र सड़क विकास प्राधिकरण को निर्माण के दफन हुए इन हैंडपंपों की सूची भेजी थी और मप्र सड़क विकास प्राधिकरण से 76 लाख रुपए की राशि की मांग की थी, ताकि फिर से सड़क किनारे हैंडपम्प लगाए जा सकें। लेकिन नौं साल बाद भी विभाग को यह राशि नहीं मिलीए इससे सड़क किनारे फि र से हैंडपम्प नहीं लगाए जा सके। हालाकि अब यह सड़क प्रोन्नत होकर नेशनल हाइवे बना दी गई है।
जो हैंडपंप चालू, उनमें से ज्यादतर हांफने लगे तो कई सूखे
लोगों का कहना है कि जो हैंडपम्प सड़क से कुछ दूरी पर थे, सिर्फ वही हैंडपम्प बचे हैं और उनमें से ज्यादातर हैंडपम्प गर्मी के मौसम में हांफने लगे हैं और कई तो सूखकर बंद पड़े हुए हैं। नतीजतन राहगीरों को लंबे समय तक मशक्कत करना पड़ती है और तब कहीं उनमें से पानी निकलता है। इससे कई बार तो लोग थक हारकर चले जाते हैं और प्यास बुझाने के लिए पानी भी नहीं मिल पाता है। इससे स्थिति यह हो गई है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क किनारे स्थित दुकानों पर दुकानदार पानी के पाउच और बोतलें रखने लगे हैं और इन दुकानों से बड़ी मात्रा में पानी बिकता है।
यह भी खास
-नेशनल हाइवे पर जिले में चंदेरी से घाटबमूरिया तक सड़क किनारे इक्का-दुक्का हैंडपम्प ही चालू हैं और उन पर ग्रामीणों की भीड़ लगी रहती है।
-बंगलाचौराहा से अशोकनगर तक एक-दो जगह पर ही सड़क किनारे हैंडपम्प हैं और अथाइखेड़ा से टीटोर गांव तक कोई हैंडपम्प ही नहीं है।
-यही स्थिति अशोकनगर-पिपरई-बरखेड़ाकाछी गांव की सड़क की है, जहाँ इतनी लंबी सड़क पर दो-तीन हैंडपम्प ही हैं।
-मुंगावली से पिपरई और अशोकनगर से थूबोन मार्ग पर भी सड़क किनारे हैंडपम्प गायब ही नजर आते, कई बंद पड़े हुए हैं।
-मुंगावली से मल्हारगढ़ तक 17 किमी हिस्से में आठ हैंडपम्प चालू हैं, इससे इस सड़क पर ही राहगीरों को पर्याप्त पानी मिलता है।

पेयजल विहीन हुए रास्ते: सड़कों के निर्माण में दफन हुए एक सैकड़ा हैंडपंप, तो रास्तों पर राहगीरों को नहीं पानी
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