वारदात शहर के व्यापारिक क्षेत्र सुभाष गंज में मंगलवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे की है। तिगरी गांव निवासी चंदनसिंह यादव ने एक दिन पहले मंडी में अपना सोयाबीन बेचा था, मंगलवार को दोपहर के समय वह अपने बेटे और दो साथियों के साथ बेचे गए सोयाबीन का भुगतान लेने के लिए ले आए थे। करीब 55 हजार रुपए का भुगतान हुआ और व्यापारी से रुपए लेने के बाद जैसे ही चंदनसिंह, उसका बेटा और दोनों साथी बाहर निकले तभी 10-12 लोगों ने हमला कर दिया और रुपए छीनने लगे। चंदनसिंह और उसके साथियों ने रुपए बचाने का प्रयास किया तो हमलावरों ने उनकी जमकर मारपीट की।
रात को इसी डर से नहीं लिया था भुगतान- किसान का कहना है कि सोमवार को उन्होंने अपना सोयाबीन बेचा था, लेकिन रात में इन्हीं वारदातों के डर से व्यापारी से भुगतान नहीं लिया था। किसान का कहना है कि हमलावर शहर में कीटनाशक दवा बेचते हैं। गोविंद का कहना है कि परिवार के चाचा ने चार साल पहले 2400 और 1600 रुपए की कीटनाशक दवा खरीदी थी, जिसका वह तीन साल पहले भुगतान कर चुके हैं। लेकिन सोमवार को अचानक से उन लोगों ने आकर 15 हजार रुपए बकाया बताए और मंगलवार को व्यापारी से भुगतान लेने के बाद बाहर निकलते ही उन लोगों ने हमला कर दिया और मारपीट कर 45 हजार रुपए लूट ले गए।
घटना का वीडियो बनाने पर पत्रकार पर हमला-
वहीं शहर के सबसे पॉश इलाके में किसानों पर खुलेआम किए गए इस हमले की जब पत्रकार वीडियो बनाने लगे, तो हमलावरों ने पत्रकारों पर हमला कर दिया और वह उनका कैमरा छीन ले गए। शहर में लूट का यह पहला मामला नहीं है, बल्कि बीच शहर से इसी तरह से कई बड़ी लूटों को अज्ञात आरोपी अंजाम देकर भागने में सफल रहे। इससे स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि शहर में खुलेआम वारदातें कर रहे इन आरोपियों में पुलिस का तक खौफ नहीं बचा।
बड़ा सवाल: व्यापारिक क्षेत्र में घटना फिर भी गंभीर नहीं पुलिस-
बीच शहर में स्थित व्यापारिक क्षेत्र में दिनदहाड़े किसान की मारपीट और लूट की यह वारदात हुई। इससे जहां व्यापारियों में भय की स्थिति है। वहीं सीसीटीवी के फुटेज देखने के बावजूद भी पुलिस यह तो मान गई की व्यापारिक क्षेत्र में जमकर किसानों के साथ मारपीट कर वारदात को अंजाम दिया गया। वहीं किसान उन हमलावरों के ठिकाने भी बताते रहे, लेकिन पुलिस ने गिरफ्तार करना तो दूर पूरा दिन फरियादियों से पूछताछ में ही निकाल दिया। इतना हीं नहीं वारदात के चार घंटे बाद तक पुलिस ने कोई प्रकरण तक दर्ज नहीं किया और उलटे फरियादियों पर पुलिस दबाव बनाती नजर आई। इससे सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इतनी बड़ी वारदात में हमलावरों का समर्थन कर पुलिस आखिर ऐसे लोगों को बढ़ावा क्यों देना चाहती है।