अपनी मांग पर अड़े साधु-संत और ग्रामीण रातभर धरना स्थल पर टेंट में ही रुके रहे और आधी रात तक साधु वहीं बैठकर माला जपते और राम नाम जपते दिखे। वहीं रविवार को भी धरना स्थल पर ही कई साधुओं का माला जप और राम नाम लेखन का कार्य जारी रहा। रविवार को जिला पुजारी संघ ने भी साधुओं के धरना स्थल पर पहुंचकर धरने का समर्थन किया। साथ ही कहा कि प्रशासन को साधुओं की मांग पर गंभीरता दिखाना चाहिए।
डेढ़ दर्जन साधु-संतों व ग्रामीणों के धरने पर आमरण अनशन से प्रशासन की परेशानी बढ़ गई है। रविवार दोपहर एसडीएम नीलेश शर्मा, तहसीलदार इसरार खान और एसडीओपी गुरूवचनसिंह धरना स्थल पर पहुंचे।जहां पर अधिकारियों ने साधु-संतों को समझाया और कहा कि आप सभी हट जाएं और कलेक्टर मैडम ने जांच के निर्देश दिए हैं, इससे मामले की जांच शुरू हो चुकी है। इस पर साधु केशवदास ने कहा कि भले ही आप 16 साल तक जांच करते रहो, लेकिन हम अपनी मांग पूरी होने के बाद ही यहां से हटेंगे। इससे बहुत देर तक समझाईश का दौर जारी रहा, लेकिन साधु मानने को तैयार नहीं है। बाद में प्रशासन ने ग्रामीणों को हटने के लिए कहा तो धरने पर बैठे ग्रामीण बोले कि हम कम हैं और आप लोग ज्यादा हैं, इसलिए भले ही आप हमें लाठियां मारो, लेकिन हम नहीं हटेंगे। इस पर अधिकारियों ने उन्हें धमकाते हुए कहा कि आप लोग अवैध तरीके से बैठे हैं, लेकिन यहां साधु-संत भी बैठे हुए हैं इसलिए आपसे कुछ नहीं कह रहे। लेकिन ग्रामीण भी वहां से हटने तैयार नहीं हुए। इससे अब मामला बिगढ़ता नजर आ रहा है।
साधु-संतों द्वारा जहां ट्रस्ट को फर्जी बताया जा रहा है और दानराशि में भी गड़बड़ी के आरोप लगाए जा रहे हैं। इस पर कलेक्टर ने मामले की जांच मुंगावली एसडीएम को दी है। लेकिन मुंगावली में लंबे समय से कोई एसडीएम ही पदस्थ नहीं है। इससे मामले की जांच मुंगावली तहसीलदार करेंगे। तहसीलदार ट्रस्ट के सचिव हैं और उन्हीें के पास दानराशि का हिसाब रहता है।
-नीलेश शर्मा, एसडीएम अशोकनगर