शासन ने 25 मार्च से समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी करने के निर्देश दिए थे। इसके लिए जिले में 35 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं, लेकिन अब तक खरीदी शुरू नहीं हुई है। हालांकि अब चयनित जगहों पर कई खरीदी केंद्र तैयार हो चुके हैं और खरीदी केंद्रों के कर्मचारी तौल कांटे रखकर वहां पर बैठ चुके हैं, लेकिन बिजली कनेक्शन न होने से इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे चालू नहीं हो पाए हैं। इससे खरीदी शुरू नहीं हो पा रही है।
वहीं किसान भी अपनी फसलों को खरीदी केंद्र पर ले जाने के लिए मैसेज आने का इंतजार कर रहे हैं। सरकारी रेट पर खरीदी शुरू न होने की वजह से किसानों को मजबूरी में जरूरत के चलते मंडियों में अपना गेहूं बेचना पड़ रहा है। वहीं चना, मसूर और सरसों की सरकारी खरीदी की अब तक कोई व्यवस्था नहीं हुई है, इससे किसान असमंजस में हैं।
संचालनालय के निर्देश, गोदामों के पास बनें खरीदी केंद्र-
खास बात यह है कि खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण संचालक श्रीमन शुक्ला ने सभी जिलों को स्पष्ट तौर से निर्देश दिए थे कि खरीदी केंद्र स्थलों का निर्धारण प्राथमिकता के आधार पर स्टील सायलो, सायलो बैग या गोदामों पर किया जाए, जिससे कि उपज की अधिक आवक के कारण परिवहन पर पडऩे वाले दबाव को कम करने के साथ-साथ किसानों का भुगतान शीघ्र हो सके।
जानकारों की मानें तो यदि इस निर्देशानुसार खरीदी केंद्र बनाए जाते तो खरीदे गए अनाज को बारिश होने या अन्य नुकसान से बचाया जा सकता था, साथ ही इससे परिवहन पर खर्च होने वाले शासन के करोड़ों रुपए की बचत भी हो जाती। लेकिन स्थलों का चयन करने समय कोई ध्यान नहीं दिया गया।
पत्रिका ने जाने जिले के खरीदी केंद्रों के हालात-
1. भीगकर अंकुरित हो गए थे चना, इस भी खुले में खरीद-
शहर से करीब दो किमी स्टेडियम में कचनार का खरीदी केंद्र बनाया गया है। तौलकांटे रखे हुए थे, तीन-चार कर्मचारी बैठे थे और खरीदी केंद्र तैयार हो चुका है, हालांकि बिजली व्यवस्था न होने से अभी तौल कांटे चालू नहीं हुए हैं। लेकिन छाया की कोई व्यवस्था नहीं है और खुले मैदान में ही खरीदी होगी। जबकि पिछले साल बारिश हो जाने की वजह से हजारों क्विंटल अनाज इस खरीदी पर भीगकर खराब हो गया था।
2. खेत में बना खरीदी केंद्र, छाया की नहीं कोई व्यवस्था-
शहर से करीब सात किमी दूर तमोईयां गांव में खरीदी केंद्र बन गया और यह खरीदी खेत में होगी। इस केंद्र पर भी तौल कांटे और कर्मचारी बैठे हुए मिले। हालांकि अभी तक इस केंद्र पर भी गेहूं की खरीदी शुरू नहीं हो सकी है। पिछले तीन सालों से इसी जगह पर खरीदी केंद्र बन रहा है और गर्मी के मौसम में बारिश हो जाने से यहां भी कई बार अनाज गीला होकर खराब हो चुका है, फिर भी इस बार ध्यान नहीं दिया गया।
अशोकनगर खरीदी केंद्र भी शहर से दो किमी दूर नवीन कृषि मंडी परिसर में बनाया गया है। यहां भी तौल कांटे रखकर खरीदी केंद्र के कर्मचारी बैठ चुके हैं, लेकिन बिजली कनेक्शन न होने से तौलकांटे चालू नहीं हो पा रहे। पिछले साल इस खरीदी केंद्र पर भी अनाज भीगकर खराब हो गया था, हालांकि इस बार मंडी का टीनशेड़ होने से अनाज को रखने की व्यवस्था है, लेकिन ज्यादा अनाज इक_ा होने से समस्या बनेगी।
फसल पंजीकृत किसान
गेहूं 28292
चना 17670
मसूर 3237
सरसों 2717
कुल 32129
(आंकड़े खाद्य विभाग अनुसार।)