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77 साल पहले जहां लिया जन्म, उसी भूमि से बढ़ा रहे वैराग्य पथ पर कदम

locationअशोकनगरPublished: May 18, 2019 12:09:03 pm

Submitted by:

Arvind jain

करोड़ों की संपत्ति छोड़ अपनाया वैराग्य का पथ,- दूल्हे की तरह सजाकर शहर में आज निकलेगी बिनौली यात्रा, गोद भराई कार्यक्रम भी होगा।

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77 साल पहले जहां लिया जन्म, उसी भूमि से बढ़ा रहे वैराग्य पथ पर कदम

अशोकनगर. शहर की माटी में जन्में सेवानिवृत्त लीड बैंक अधिकारी पवन जैन कठरया अपनी करोड़ों की संपत्ति छोड़कर वैराग्य का पथ अपना रहे हैं। इसके लिए वह शहर की माटी से ही वैराग्य पथ पर जाने के लिए कदम बढ़ा रहे हैं। जहां आज उन्हें दूल्हे की तरह सजाकर शहर में बिनौली यात्रा निकाली जाएगी और गोद भराई का कार्यक्रम भी होगा।


वैराग्य पथ अपना रहे गुना निवासी पवन जैन कठरया 30 मई को दक्षिण भारत के कुंभोज बाहुबली क्षेत्र में आचार्यश्री वर्धमानसागरजी महाराज से जेनेश्वरी दीक्षा लेकर कठोर जैन मुनिव्रत का पालन करेंगे। लंबे समय से बृह्मचारी के रूप में वह आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज की प्रेरणा और आशीर्वाद से त्यागीवृत्ति का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। साथ ही जैन साधना की एक श्रेणी के तहत उन्होंने आठ प्रतिमाओं को गृहण किया है और हमेशा ही उनका मन दीक्षा की ओर रहा। वैराग्य पथ पर जाने के लिए वह अपनी जन्मभूमि से ही कदम बढ़ा रहे हैं।

दिगंबर जैन समाज द्वारा शहर के गांव मंदिर ट्रस्ट धर्मशाला में शनिवार को आज कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। ट्रस्ट के संयोजक अजीत गुरहा ने बताया कि शनिवार को शाम छह बजे गांव मंदिर ट्रस्ट धर्मशाला में उनकी गोद भराई का कार्यक्रम होगा और इसके बाद दूल्हे की तरह सजाकर शहर में उनकी बिनौली यात्रा निकाला जाएगी। जिसमें जैन समाज के सभी लोग शामिल होंगे।


पहले शिक्षक और फिर बैंक सेवा में पहुंचे-
पवन जैन कठरया का जन्म अशोकनगर में हुआ था और अशोकनगर में ही उन्होंने बीए, एलएलबी तक पढ़ाई की और शिक्षक बन गए। बाद में 1965 में स्टेट बैंक में नौकरी लग गई। बैंक सेवा के दौरान विभिन्न शहरों ेमें रहे और वर्ष 2006 में गुना से लीड बैंक अधिकारी पद से सेवानिवृत्त होने से गुना में ही बस गए।

 

उनके पुत्र-पुत्रियां गुना में और भाई-भतीजे अशोकनगर में रह रहे हैं। फरवरी 1999 में पंचकल्याणक महामहोत्सव के दौरान गुना में वासुपूज्य जिनालय का निर्माण कराया गया था, जहां महामहोत्सव में उन्हें भगवान के माता-पिता बनने का सौभाग्य मिला। इसी दौरान उन्होंने मुनिश्री समतासागर और मुनिश्री प्रमाणसागर महाराज से बृह्मचर्य व्रत लिया और वर्ष 2002 में आचार्य विद्यासागरजी से दो प्रतिमाएं लीं और अब आठ प्रतिमाधारी हो गए, वहीं उनकी सोनादेवी जैन भी सात प्रतिमाधारी हैं।

 

जीवन परिचय-
नाम – पवन जैन कठरया
जन्म – 14 जनवरी 1942
शिक्षा- बीए, एलएलबी
पिता – लख्मीचंद जैन
माता – गजरीबाई
परिवार- पत्नी सोनादेवी जैन, तीन पुत्र और दो पुत्रियां, आठ नाती-नातिन

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