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6 माह तक टीबी की दवा दिखाई, डॉक्टर बोला अब है स्वस्थ, लेकिन मरीज की हो गई मौत

locationअशोकनगरPublished: Jan 23, 2020 10:25:44 am

Submitted by:

Arvind jain

टीबी बनी मौत का कारण: 55 वर्षीय व्यक्ति की टीबी से जिला अस्पताल में मौत, विभाग पर सवाल।

छह माह खिलाई टीबी की दवा व जांच में बताया स्वस्थ, तीन महीने बाद टीबी से मौत

छह माह खिलाई टीबी की दवा व जांच में बताया स्वस्थ, तीन महीने बाद टीबी से मौत

अशोकनगर. स्वास्थ्य विभाग ने जिस मरीज को छह माह टीबी की दवा खिलाई और तीन माह पहले हुई जांच में उसे स्वस्थ बताया। लेकिन तीन माह बाद ही मरीज की टीबी से मौत हो गई। इससे विभाग की सजगता पर सवाल उठने लगे हैं कि फिर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जिले में टीबी के मरीजों की किस तरह से मॉनीटरिंग कर रहे हैं। वहीं मरीज के परिजनों ने इसे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही बताया है।


कदवाया क्षेत्र के मनहेटी गांव निवासी 55 वर्षीय चिंटू पुत्र बल्ला आदिवासी को परिजन सुबह आठ बजे इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि चिंटू आदिवासी टीबी की बीमारी से पीडि़त था और टीबी सेंटर ने उसे जांच के बाद लगातार छह माह तक टीबी की दवा भी खिलाई।

 

तीन महीने पहले दवाएं खत्म हुईं तो टीबी सेंटर ने उसे स्वस्थ होना बताया था, लेकिन चिंटू की खांसी की समस्या से परेशान था। मृतक के बेटे दशरथ आदिवासी का आरोप है कि उसके पिता की मौत स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से हुई है, जिसका विभाग ने न तो सही तरीके से इलाज किया और न हीं उसकी सही जांच की।


बड़ा सवाल: दवा पूरी होने के बाद कैसा किया फॉलोअप-
नियमानुसार टीबी मरीज की दवा खत्म होने के बाद उसका फॉलोअप किया जाता है कि कहीं वह फिर से टीबी से पीडि़त तो नहीं है। लेकिन इस मामले से विभाग के फॉलोअप पर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर किस तरह से विभाग ने फॉलोअप किया कि मरीज खांसी से परेशान रहा और विभाग ने उसे स्वस्थ बता दिया। कारण कुछ भी हो, लेकिन इस घटना में जिले में टीबी मरीजों पर विभाग की सजगता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।


परिजन मेटाडोर से लेकर आए मरीज-
मरीज की ज्यादा तबीयत खराब हुई तो परिजनों को उसे लाने के लिए वाहन नहीं मिला। बाद में परिजन मेटाडोर में रखकर उसे इलाज के लिए लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। हालांकि बाद में मौत के बाद मृतक को शव वाहन से गांव पहुंचाया गया।


जिले में 2593 मरीज टीबी और 40 एमडीआर के-
वर्ष 2019 के एक जनवरी से 31 दिसंबर तक के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो जिले में टीबी के 2593 मरीज चिन्हित हुए थे। जिनमें से 40 मरीज एमडीआर के हैं। खास बात यह है कि देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए जहां प्रत्येक टीबी पॉजीटिव मरीज के लिए राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन द्वारा एक ट्रीटमेंट सपोर्टर रखा जाता है, ट्रीटमेंट सपोर्टर की जिम्मेदारी टीबी के मरीज को रोजाना समय पर दवा खिलाने की रहती है और इसके लिए ट्रीटमेंट सपोर्टर को एक हजार रुपए दिए जाते हैं। वहीं मरीज को भी पोषण के लिए 500 रुपए महीने और पूरे इलाज के दौरान अधिकतम तीन हजार रुपए दिए जाते हैं।


मरीज को जब लाया गया था तब उसका बीपी नहीं था, पल्स नहीं था सुगर भी कम थी। परिजन बता रहे थे कि दो तीन दिन से कुछ खाया पिया नहीं था। टीबी की दवा भी खाई थी उसके सीरियस हालत में लाया गया था। टीबी की दवा खालो तो टीबी ठीक हो जाती है ध्यान नहीं देते तो दूसरी बीमारियां भी हो सकती है।
डा. गौरव बंसल, चिकित्सक जिला अस्पताल अशोकनगर

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