ऐसे में स्कूल की छुट्टी होने के बाद बच्चे चिलचिलाती धूप में परिजनों के आने का इंतजार कर रहे थे, तो वहीं कई बच्चे सिर को रूमालों से ढंककर पैदल ही जाते दिखे। छोटे बच्चों को परिजन लेने आए तो बाईक की गर्म हो चुकी सीट को पानी डालकर ठंडा करने के बाद ही अभिभावक ने बच्चे को बिठाया। तो वहीं कई अभिभावक बच्चों को तौलियों में ढंककर बाइक से घर ले जाते दिखे। यह सिर्फ एक दिन की बात नहीं, बल्कि रोजाना ही भीषण गर्मी और तेज धूप के बीच ऐसे ही हालात रहते हैं। इससे बच्चों को लू लगने का डर बना रहता है।
गर्मी से बचने स्वास्थ्य विभाग की सलाह-
– आवश्यक न हो तो बेवजर धूप में न निकलें। धतरी का प्रयोग करें और संभव हो तो धूप चश्मा का प्रयोग करें।
– तौलिया, गमछा, स्कार्फ से सिर तथा चेहरे को ढंककर ही निकलें, बुखार या लू लगने से पर जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
– दिनभर में तीन से चार लीटर पानी अवश्य पिएं। ओआरएस घोल का उपयोग करें, नींबू पानी, छाछ और फलों का रस पिएं।
– लू गले व्यक्ति को छांव में लिटा दें और उसके तंग पकड़ों को ढ़ीला कर दें। ठंडे गीले कपड़े से शरीर पौंछे या ठंडे पानी नहलाएं।