92 बीघा में से मौके पर बची सिर्फ 25 बीघा जमीन-
माफी औकाफ के दस्तावेजों में इस मंदिर के पास 21 सर्वे नंबरों में 19.362 हेक्टेयर (करीब 92 बीघा 13 बिस्वा) जमीन दर्ज है, जिसमें ज्यादातर सर्वे नंबर बस स्टैंड के आसपास हैं। लेकिन हकीकत में मंदिर की जमीन पूरी तरह पर कॉलोनियां बन चुकी है। तहसीलदार इसरार खान के मुताबिक मौके पर सिर्फ 25 बीघा जमीन ही बची हुई है। इससे अब सर्वे कराया जाएगा कि कितनी जमीन पर अतिक्रमण हो गया है और सर्वे के बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी।
बड़ा सवाल: सरकारी जमीन की बिक्री की कैसे हो रहीं नोटरियां…
मंदिर की इस सरकारी जमीन को बेचने के लिए रजिस्ट्री हो नहीं सकती, इसलिए लोग इसे नोटरी के माध्यम से बेच रहे हैं और खरीदारों ने अपने मकान बना लिए हैं। रविवार को अतिक्रमण हटाने के दौरान कई लोगों ने वह नोटरी पत्र भी प्रशासन को प्रस्तुत किए।
स्पीक आउट- सुनिए उन्हीं की जुबानी…
दो साल पहले सवा लाख रुपए में जमीन खरीदी और बिक्री की नोटरी भी हुई। आज फर्शियां लगा रहे थे, प्रशासन ने सब तोड़ दिया और जब वहां पहुंचे तो पुलिस ने भगा दिया। यदि नोटरी फर्जी है तो नोटरी करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।
– सरदारसिंह, रहवासी
मेहनत मजदूरी करके पाई-पाई जोड़ 80 हजार में जगह खरीदी, 40 हजार रुपए लेकर कमलदास बैरागी ने चार महीने पहले नोटरी पर बिक्री पत्र लिखा। प्रशासन ने फर्शियां तोड़ दी है।
– भूरीबाई, रहवासी
रिजौदा गांव की चार बीघा जमीन बेच दोनों बहुओं के नाम से दो प्लॉट लिए थे, जिसका नोटरी पर बिक्री पत्र लिखा है। मकान का निर्माण करा रहे थे और ढ़ाई लाख रुपए खर्च हो गए। प्रशासन ने पिलर और दीवारों को भी तोड़ दिया। अब कहां रहेंगे।
– हल्कूराम केवट, रहवासी
– गोविंदसिंह, झागर गांव
मंदिर के पुराने और नए पुजारियों में विवाद चल रहा था, मंदिर के पास करीब 25 बीघा जमीन ही बची है। अवैध बिक्री होने और अतिक्रमण होने की शिकायत मिली, तो आठ निर्माणाधीन मकान सहित एक तैयार हो चुके मकान को जेसीबी से गिरा दिया है। जमीन बिक्री की दो नोटरी भी हमें मिली हैं, जिनमें ेबेचने वाले का नाम कमलदास बैरागी दर्ज है। जांच कराई जा रही है और शेष जमीन का सर्वे कराया जा रहा है, सर्वे के बाद कार्रवाई की जाएगी।
– इसरार खान, तहसीलदार अशोकनगर